रिलायंस वसूल सकेगी गैस के ज्यादा दाम
कृष्णा गोदावरी [केजी] बेसिन के डी6 ब्लॉक से उत्पादित गैस के दाम बढ़ाने की मांग कर रही रिलायंस इंडस्ट्रीज को सरकार से राहत मिल गई है। प्रधानमंत्री कार्यालय [पीएमओ] ने अप्रैल 2014 से कंपनी को गैस की ज्यादा कीमत वसूलने की इजाजत दे दी है। अब रिलायंस अपने ग्राहकों को बोली के जरिये गैस की बिक्री कर सकेगी। बिजली और उर्वरक क्षेत्र में गैस की बढ़ती मांग को देखते हुए यह छूट दी गई है।
नई दिल्ली। कृष्णा गोदावरी [केजी] बेसिन के डी6 ब्लॉक से उत्पादित गैस के दाम बढ़ाने की मांग कर रही रिलायंस इंडस्ट्रीज को सरकार से राहत मिल गई है। प्रधानमंत्री कार्यालय [पीएमओ] ने अप्रैल 2014 से कंपनी को गैस की ज्यादा कीमत वसूलने की इजाजत दे दी है। अब रिलायंस अपने ग्राहकों को बोली के जरिये गैस की बिक्री कर सकेगी। बिजली और उर्वरक क्षेत्र में गैस की बढ़ती मांग को देखते हुए यह छूट दी गई है।
सरकार ने इस ब्लॉक के गैस की कीमत मार्च 2014 तक के लिए 4.2 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू तय कर रखी है। उत्पादन भागीदारी समझौते के तहत उसके बाद इसके दाम का नवीकरण होगा। घरेलू बाजार में बढ़ती मांग और अंतरराष्ट्रीय बाजार की कीमतों में तेजी को देखते हुए रिलायंस ने अप्रैल 2014 से गैस की कीमत बढ़ाने की मांग की थी। कंपनी ने इसका दाम कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत या देश में आयातित एलएनजी की कीमत से जोड़ने की मांग की थी। पेट्रोलियम मंत्रालय अप्रैल 2014 से पहले गैस की नई कीमत तय करने के सख्त खिलाफ है। मगर पीएमओ ने ज्यादा कीमत वसूली का दूसरा रास्ता जरूर खोल दिया।
24 सितंबर को प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव पुलक चटर्जी की अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी। इस बैठक में उन्होंने साफ कर दिया कि रिलायंस बोली मंगवाकर गैस की बिक्री कर सकती है। अगर ग्राहक ज्यादा कीमत देने को तैयार हैं तो सरकार को इससे कोई दिक्कत नहीं है। सूत्रों के मुताबिक उत्पादन भागीदारी समझौते के नवीनीकरण के समय यह प्रावधान किया जा सकता है। इसके तहत कंपनी को खुली और पारदर्शी बोली प्रक्रिया अपनानी होगी। इसके बाद मिली सबसे ज्यादा बोली पर गैस बेचने की सरकार से मंजूरी लेनी होगी। अगर डी6 से गैस का उत्पादन मांग के बराबर या ज्यादा रहता है तो बोली की कीमत पर बिक्री की अनुमति कंपनी को दी जा सकती है।
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