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अब तिलैया में बिजलीघर नहीं लगाएगा रिलांयस

निजी क्षेत्र की अग्रणी बिजली कंपनी रिलायंस पावर की पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई झारखंड इंटीग्रेटेड पावर लिमिटेड (जेआईपीएल) ने हजारीबाग जिले में प्रस्तावित 3,960 मेगावाट क्षमता वाले तिलैया अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट (यूएमपीपी) से ऊर्जा खरीद अनुबंध (पीपीए) रद्द कर दिया है। कंपनी ने इस परियोजना पर 36,000 करोड़ रुपये

By Shashi Bhushan KumarEdited By: Published: Tue, 28 Apr 2015 04:20 PM (IST)Updated: Tue, 28 Apr 2015 04:42 PM (IST)
अब तिलैया में बिजलीघर नहीं लगाएगा रिलांयस

नई दिल्ली। निजी क्षेत्र की अग्रणी बिजली कंपनी रिलायंस पावर की पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई झारखंड इंटीग्रेटेड पावर लिमिटेड (जेआईपीएल) ने हजारीबाग जिले में प्रस्तावित 3,960 मेगावाट क्षमता वाले तिलैया अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट (यूएमपीपी) से ऊर्जा खरीद अनुबंध (पीपीए) रद्द कर दिया है। कंपनी ने इस परियोजना पर 36,000 करोड़ रुपये के निवेश की योजना बनाई थी। लेकिन अब इस निवेश को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।

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कंपनी ने एक बयान जारी कर कहा कि रिलायंस पावर की पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी झारखंड इंटीग्रेटेड पावर लिमिटेड ने हजारीबाग जिले में अपनी 3,960 मेगावाट की तिलैया अति वहद बिजली परियोजना का बिजली खरीद समझौता (पीपीए) खत्म कर दिया है।

परियोजना के क्रियान्वयन के लिए स्थापित विशेष कंपनी झारखंड इंटीग्रेटेड पावर ने 10 राज्यों में 25 वर्षों के लिए 18 बिजली क्रेताओं के साथ पीपीए पर हस्ताक्षर किया था। परियोजना निजी कोयला ब्लाकों पर आधारित थी जिसके लिए कोयला केरेन्दरी बीसी कोयला खान ब्लॉक से खरीदा जाना था।

परियोजना के लिए कुल 17,000 एकड़ भूमि की जरूरत थी। बयान के मुताबिक, बिजली संयंत्र, निजी कोयला ब्लॉकों एवं संबद्ध ढांचागत सुविधाओं के लिए राज्य सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण में पांच साल से भी ज्यादा विलंब किया गया है।

पीपीए के तहत जमीन उपलब्ध कराने वालों को फरवरी, 2010 तक भूमि उपलब्ध कराने एवं अन्य मंजूरियां उपलब्ध कराने की जरूरत थी। हालांकि, आवश्यक भूमि अभी तक उपलब्ध नहीं कराई गई है। बिजली घर क्षेत्र में वन भूमि जिसके लिए केंद्र सरकार द्वारा नवंबर, 2010 में ही द्वितीय चरण की वन मंजूरी दी गई थी, अभी तक झारखंड इंटीग्रेटेड पावर को नहीं सौंपी गई है।

कंपनी ने बयान में कहा, जहां तक कोयला ब्लॉक का संबंध है, भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं की गई है जिसके लिए आवेदन फरवरी, 2009 में ही जमा कर दिया गया था।

कंपनी ने कहा कि 25 से अधिक समीक्षा बैठकें किए जाने एवं राज्य सरकार के साथ व्यापक व सतत रूप से इसे आगे बढ़ाने के लिए लगे रहने के बावजूद आवश्यक भूमि अभी तक उपलब्ध नहीं कराई गई है। भूमि उपलब्ध कराने की प्रक्रिया के मौजूदा अनुमान को देखते हुए परियोजना 2023-24 से पहले पूरी नहीं की जा सकती।

इस परियोजना को खत्म करने के साथ रिलायंस पावर का भावी पूंजीगत खर्च 36,000 करोड़ रुपये तक घट गया है। इससे पहले, कंपनी ने मध्य प्रदेश में अपनी 3,960 मेगावाट की सासन अति वहद बिजली परियोजना पीपीए के कार्यक्रम से 12 महीने पहले ही स्थापित कर ली थी। इस परियोजना पर 27,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया गया

कंपनी ने उत्तर प्रदेश में 1,200 मेगावाट की रोसा बिजली परियोजना, महाराष्ट्र में 600 मेगावाट की बुटीबोरी बिजली परियोजना और राजस्थान व महाराष्ट्र में 185 मेगावाट की सौर व पवन उर्जा परियोजनाएं भी चालू की हैं।

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