लोन न चुकाने वालों पर कार्रवाई करे सेबी: आरबीआइ
जानबूझकर बैंकों का कर्ज नहीं चुकाने वालों पर शिकंजा और कसने की तैयारी है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने पूंजी बाजार नियामक सेबी को इस सिलसिले में एक अहम सुझाव दिया है। आरबीआइ ने सेबी से कहा है कि ऐसे डिफॉल्टरों पर बाजार से पूंजी जुटाने पर भी रोक लगाई जानी चाहिए। जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों (विलफुल डि
नई दिल्ली। जानबूझकर बैंकों का कर्ज नहीं चुकाने वालों पर शिकंजा और कसने की तैयारी है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने पूंजी बाजार नियामक सेबी को इस सिलसिले में एक अहम सुझाव दिया है। आरबीआइ ने सेबी से कहा है कि ऐसे डिफॉल्टरों पर बाजार से पूंजी जुटाने पर भी रोक लगाई जानी चाहिए। जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों (विलफुल डिफॉल्टर्स) पर ऐसी पाबंदियां लगाने के लिए केंद्रीय बैंक डिफॉल्टरों से जुड़ी जानकारियां तत्काल सेबी को मुहैया कराने की तैयारी कर रहा है।
अगर ऐसा हुआ तो इन डिफॉल्टरों पर न सिर्फ पूंजी बाजार से फंड जुटाने पर रोक लग सकती है, बल्कि सेबी के अधिकार क्षेत्र में आने वाले प्रतिभूति जारी करने जैसे अन्य दरवाजे भी बंद किए जा सकते हैं। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को अभी इस मामले पर विचार करना है। इसके बाद ही सेबी का बोर्ड कार्रवाई को लेकर कोई अंतिम निर्णय लेगा। फिलहाल जानबूझकर बैंकों का कर्ज नहीं चुकाने वालों की जानकारी सेबी और क्रेडिट इंफॉर्मेशन ब्यूरो (सिबिल) जैसी एजेंसियों को तिमाही आधार पर दी जाती है।
आरबीआइ चाहता है कि बैंक जैसे ही किसी को विलफुल डिफॉल्टर घोषित करे, वैसे ही सेबी और इन सभी एजेंसियों को इसकी जानकारी मिल जाए। इससे अपने मौजूदा कर्जदाताओं की देनदारी नहीं चुकाने वाले डिफॉल्टरों को अन्य तरीके से फंड जुटाने से रोक लग सकेगी। इसके अलावा सिबिल और अन्य क्रेडिट इंफॉर्मेशन एजेंसियों को भी इन लोगों व कंपनियों के नाम तथा अन्य ब्योरे तत्काल मिल जाएंगे।
एनपीए को लेकर चिंता बढ़ी
आधिकारिक अनुमानों के मुताबिक, बैंकों के तकरीबन दो लाख करोड़ रुपये फंसे कर्ज (एनपीए) में तब्दील हो चुके हैं। बैंकिंग प्रणाली में एनपीए की भारी-भरकम राशि को लेकर आरबीआइ व वित्त मंत्रालय दोनों ही चिंता जताते रहे हैं। पिछले दो वित्त वर्षों में देश की आर्थिक विकास दर पांच फीसद से नीचे रही है। ऐसे में फंसे कर्जो को लेकर चिंता और भी बढ़ी है।
बैंकों को दी गई सलाह
आरबीआइ के अनुसार बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को सलाह दी गई है कि वे एक करोड़ रुपये या अधिक की कर्जराशि अदा नहीं करने के सभी मामलों की छानबीन कर मुकदमा दायर करें। साथ ही डिफॉल्टरों की ओर से जालसाजी या धोखाधड़ी का संदेह होने पर आपराधिक मामला दर्ज करवाया जाए। बढ़ते फंसे कर्जो से चिंतित रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर आर गांधी ने इस साल मई में बैंकों से कहा था कि डिफॉल्ट के जोखिम कम करने के लिए वे अपनी आंतरिक कर्ज मूल्यांकन प्रणाली को मजबूत बनाएं।
देश में फंसे कर्जो का आकार
बैंकिंग प्रणाली में कुल अग्रिम का 4.4 फीसद ग्रॉस एनपीए है। सरकारी बैंकों के फंसे कर्जे लगातार बढ़ते जा रहे हैं। बीते साल सितंबर के अंत में इन बैंकों के ग्रॉस एनपीए का आंकड़ा 2.03 लाख करोड़ रुपये था। 31 मार्च, 2013 को बैंकों के फंसे कर्ज 1.55 लाख करोड़ रुपये थे। कुल फंसे कर्जो में से 50,000 करोड़ रुपये 10 करोड़ रुपये से ऊपर वाले कर्जदारों ने दबा रखे हैं।
कौन हैं विलफुल डिफॉल्टर
जानबूझकर कर्ज न अदा करने वाले यानी विलफुल डिफॉल्टर उन्हें कहा जाता है जो चुकाने की क्षमता के बावजूद कर्ज अदा नहीं करते। इसके अंतर्गत 25 लाख या इससे ऊपर की ऋणराशि अदा नहीं करने वाले आते हैं।