सस्ते कर्ज की उम्मीदों पर फिरा पानी, RBI ने नहीं घटाई ब्याज दर
रिजर्व बैैंक के गवर्नर डॉ. रघुराम राजन ने एक बार फिर होम लोन, ऑटो लोन की मासिक किस्तों के कम होने की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। वित्त वर्ष की तीसरी मौद्रिक नीति पेश करते हुए राजन ने रेपो रेट, बैंक दर और नगद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कोई
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रिजर्व बैैंक के गवर्नर डॉ. रघुराम राजन ने एक बार फिर होम लोन, ऑटो लोन की मासिक किस्तों के कम होने की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। वित्त वर्ष की तीसरी मौद्रिक नीति पेश करते हुए राजन ने रेपो रेट, बैंक दर और नगद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कोई बदलाव नहीं किया है। आरबीआइ के इस कदम से आम जनता के साथ ही सरकार को भी निराशा हुई है जो अर्थव्यवस्था की सुस्ती दूर होने के लिए कर्ज की दरों के कम होने का इंतजार कर रही थी।
ब्याज दरों को तथावत रखने के लिए पीछे राजन ने खुदरा महंंगाई की दरों के ज्यादा होने, ग्र्रीक व चीन की अर्थïव्यवस्था को लेकर चिंता और घरेलू अर्थव्यवस्था में सुधार के अभी तक साफ संकेतक नहीं मिलने को वजह बताया है। आरबीआइ भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार को लेकर बहुत मुतमईन नहीं है। निर्यात में गिरावट और खुदरा महंगाई की दर में लगातार बढ़ोतरी को आरबीआइ ने खास तौर पर चिंताजनक माना है। राजन ने वार्षिक मौद्रिक नीति की आज मंगलवार को तीसरी बार समीक्षा करते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था में सुधार की प्रक्रिया अभी जारी है। हालांकि उन्होंने माना है कि मानसून सामान्य के करीब है। सिंचाई की स्थिति भी ठीक नजर आ रही है। इस तरह से खरीफ का उत्पादन भी पिछले वर्ष के मुकाबले बेहतर होने की संभावना है। इस लिहाज से वर्ष 2015-16 के लिए आर्थिक विकास दर के लक्ष्य को आरबीआई ने मौजूदा 7.6 फीसद के स्तर पर ही बरकरार रखा है।
राजन ने लगाई बैंकों को झाड़, नहीं दिया ग्राहकों को कटौती का फायदा
आरबीआइ ने रेपो रेट (इस दर से ही अल्पकालिक ऋण की दरों मसलन होम लोन, ऑटो लोन आदि को तय किया जाता है) को 7.25 फीसद पर स्थिर रखा है। नकद आरक्षित अनुपात को भी चार फीसद पर ही बनाये रखा गया है। इनमें कटौती से बैैंकों से कर्ज की दरों के कम होने का रास्ता साफ होता है। आरबीआइ गवर्नर ने कहा है कि जनवरी, 2015 के बाद से रेपो रेट में 0.75 फीसद की कटौती की गई है लेकिन बैैंकों ने इसका पूरा फायदा ग्र्राहकों को नहीं दिया है। राजन ने इस बारे में बैैंकों को काफी झाड़ लगाई है। उन्होंने कहा कि बैैंकों ने ब्याज दरों में औसतन 0.30 फीसद की कटौती की है। अब जबकि कर्ज की दरों में तेजी का माहौल बन रहा है अगर ब्याज की दरों को घटाया जाए तो इससे बैैंकों को और फायदा होगा। साथ ही सरकार ने बैैंकों को अतिरिक्त पूंजी देने का जो फैसला किया है उससे भी उनको लागत कम रखने में मदद मिलेगी। लेकिन लगता है कि बैैंकों को आरबीआइ गवर्नर की यह सलाह कुछ खास रास नहीं आई है। भारतीय स्टेट बैैंक की अध्यक्ष अरुंधति भïट्टाचार्य ने कहा है कि अभी तो हाल फिलहाल कर्ज की दरों में कटौती की उम्मीद नहीं है। सनद रहे कि सरकार को सस्ते कर्ज की काफी उम्मीदें थी। कल वित्त मंत्रालय के एक आला अधिकारी कहा था कि यह ब्याज दरों को घटाने का सही समय है।