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रेलवे की प्रमुख यूनियन ने खारिज की देबराय रिपोर्ट

रेलवे की प्रमुख यूनियन ऑल इंडिया रेलवेमेन्स फेडरेशन (एआइआरएफ) ने डॉ. बिबेक देबराय समिति की अंतरिम रिपोर्ट को सिरे से नकार दिया है। एआइआरएफ के महामंत्री शिवगोपाल मिश्र के अनुसार अगर यह रिपोर्ट लागू की जाती है तो रेल किरायों में बेतहाशा वृद्धि होगी। सरकार पर सब्सिडी का बोझ भी बढ़

By Shashi Bhushan KumarEdited By: Published: Wed, 27 May 2015 08:48 AM (IST)Updated: Wed, 27 May 2015 08:54 AM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रेलवे की प्रमुख यूनियन ऑल इंडिया रेलवेमेन्स फेडरेशन (एआइआरएफ) ने डॉ. बिबेक देबराय समिति की अंतरिम रिपोर्ट को सिरे से नकार दिया है।

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एआइआरएफ के महामंत्री शिवगोपाल मिश्र के अनुसार अगर यह रिपोर्ट लागू की जाती है तो रेल किरायों में बेतहाशा वृद्धि होगी। सरकार पर सब्सिडी का बोझ भी बढ़ जाएगा। इसके अलावा रेलवे की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी और इसका स्वामित्व पूंजीपतियों के हाथ में चला जाएगा।

मिश्र के मुताबिक जहां भी रेलों का निजीकरण हुआ, वहां सरकारी सब्सिडी का बोझ पांच-छह गुना बढ़ गया। ब्रिटेन और न्यूजीलैंड की रेलवे इसका उदाहरण हैं, जहां सरकारों को रेलवे के निजीकरण के बाद उसका पुन: राष्ट्रीयकरण करना पड़ा।

देबराय की रिपोर्ट मरीज को ठीक करने के बजाय उसे मारने की दवा है, जिसे कोई भी स्वीकार नहीं करेगा। वैसे भी देबराय रिपोर्ट विदेशी एजेंसियों की ओर से पहले से तैयार मजमून का आधिकारिक वर्जन है, जिस पर समिति के सदस्यों ने दस्तखत भर कर दिए हैं। इसमें न तो कोई दृष्टि है और न ही कोई विचार। तभी तो इसमें एक जगह कुछ और सिफारिश की गई है तो दूसरी जगह उसका ठीक उल्टा मंतव्य प्रकट किया गया है। इससे पता चलता है कि समिति के सदस्यों को भारतीय रेल की जरा भी समझ नहीं है।

यूनियन के साथ हुई बैठक में समिति के सदस्य यूनियन पदाधिकारियों के सवालों का कोई जवाब नहीं दे सके। एआइआरएफ ने इस रिपोर्ट के खिलाफ सभी श्रमिक संघों के साथ उपभोक्ताओं का साझा मोर्चा बनाकर देश भर में जबरदस्त आंदोलन छेड़ने का फैसला किया है।

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