Move to Jagran APP

ऊर्जा सुरक्षा की तैयारियों पर उठे सवाल

कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता कम कर देश की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने का जो दावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था उसके पूरा होने पर अभी से सवाल उठने लगे हैं। सवाल उठने के पीछे मुख्य वजह देश की सबसे बड़ी तेल कंपनी ओएनजीसी का लचर प्रदर्शन

By Shashi Bhushan KumarEdited By: Published: Fri, 29 May 2015 08:16 AM (IST)Updated: Fri, 29 May 2015 08:28 AM (IST)
ऊर्जा सुरक्षा की तैयारियों पर उठे सवाल

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता कम कर देश की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने का जो दावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था उसके पूरा होने पर अभी से सवाल उठने लगे हैं। सवाल उठने के पीछे मुख्य वजह देश की सबसे बड़ी तेल कंपनी ओएनजीसी का लचर प्रदर्शन है। कंपनी का कच्चे तेल व गैस का उत्पादन लगातार घट रहा है। मुनाफा कम हो रहा है। विदेशी जमीनों पर जो तेल ब्लॉक खरीदे गए हैं उनकी उपयोगिता को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में कंपनी का मुनाफा 19.5 फीसद घटकर 3,935 करोड़ रुपये रह गया है।

loksabha election banner

पेट्रोलियम क्षेत्र के सबसे बड़े समारोह ऊर्जा संगम में पीएम मोदी ने कहा था कि कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता मौजूदा 77 फीसद से घटा कर वर्ष 2022 तक 67 फीसद करना है। यानी घरेलू उत्पादन को 23 फीसद से बढ़ा कर 33 फीसद करना है। यह तभी संभव होगा जब घरेलू उत्पादन में 50 फीसद की बढ़ोतरी हो। इसे हासिल करने के लिए ओएनजीसी को हर वर्ष अपने तेल उत्पादन में औसतन 7.8 फीसद की बढ़ोतरी करनी होगी। पिछले वित्त वर्ष के दौरान कंपनी के कच्चे तेल उत्पादन में 0.19 फीसद की गिरावट आई है। ऑफ-शोर उत्पादन में पिछले सात वर्षो से लगातार गिरावट आ रही है।

इस बारे में सवाल पूछने पर ओएनजीसी के सीएमडी डीके सर्राफ का कहना है कि अभी तक सरकार की मंशा के मुताबिक कच्चे तेल के उत्पादन में भारी बढ़ोतरी करना मुश्किल हो रहा है, लेकिन हमने पिछले वित्त वर्ष 22 नई हाइड्रोकार्बन फील्डों की खोज की है। ऑफशोर फील्डों में तेल उत्पादन पिछले सात वर्षो से कम हो रहा था, जिसे इस वर्ष न सिर्फ रोक दिया गया है बल्कि इसमें बढ़ोतरी भी हासिल की गई है। कंपनी नई तकनीकी का भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करने जा रही है।

कंपनी ने पिछले वित्त वर्ष के दौरान 17,733 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया है जो पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 19.7 फीसद कम है। इसके लिए कंपनी कच्चे तेल की कम हुई कीमतों और संचालन लागत में बढ़ोतरी को वजह बता रही है। कंपनी ने ऐसे तेल कुंओं की खोज में 2700 करोड़ रुपये खर्च किए हैं जिनका कोई नतीजा नहीं निकला है। इस राशि का समायोजन करना पड़ा जिससे मुनाफा प्रभावित हुआ है। कंपनी ने कुल 10,000 करोड़ रुपये की राशि का समायोजन किया है। यह स्थिति तब है जब कंपनी को पिछली तिमाही में सब्सिडी का कोई बोझ नहीं उठाना पड़ा है।

बिजनेस सेक्शन की अन्य खबरों के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.