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नेस्ले ने विज्ञापन पर खर्चे 445 करोड़ और गुणवत्ता पर सिर्फ 19 करोड़

संकट में घिरी नेस्ले इंडिया ने पिछले साल विज्ञापन एवं बिक्री प्रचार पर 445 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। वहीं खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता की जांच या परीक्षण पर उसका खर्च इस राशि का 5 प्रतिशत से भी कम यानी 19 करोड़ रुपये रहा है।

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Sun, 07 Jun 2015 07:05 PM (IST)Updated: Mon, 08 Jun 2015 07:59 AM (IST)

नई दिल्ली। संकट में घिरी नेस्ले इंडिया ने पिछले साल विज्ञापन एवं बिक्री प्रचार पर 445 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। वहीं खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता की जांच या परीक्षण पर उसका खर्च इस राशि का 5 प्रतिशत से भी कम यानी 19 करोड़ रुपये रहा है।

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गुणवत्ता से ज्यादा विज्ञापन पर खर्च करती है कंपनी

खाद्य सुरक्षा मानकों में चूक को लेकर विवादों में घिरी नेस्ले कंपनी का ज्यादा ध्यान विज्ञापन के जरिये बाजार में पकड़ बनाए रखने पर रहता है। हालांकि गुणवत्ता जांच पर यह मामूली रकम खर्च करती है। खुद नेस्ले ने बताया है कि पिछले साल विज्ञापन और बिक्री बढ़ाने पर इसने 445 करोड़ रुपये खर्च किए। दूसरी तरफ, गुणवत्ता परीक्षण के नाम पर इसका बजट सिर्फ 19 करोड़ रुपये का था। पिछले पांच वर्षों से कंपनी का यह रुख बना हुआ है। विज्ञापन पर इसका वार्षिक खर्च 300 से 450 करोड़ के बीच रहा है, जबकि प्रयोगशाला में गुणवत्ता जांच के लिए इसने महज 12-20 करोड़ खर्च किया है। हालांकि, कर्मचारियों पर खर्च करने के मामले में कंपनी बहुत आगे रही है। 2010 में जहां इसने कर्मचारियों के मद में 433 करोड़ खर्च किया था, वहीं 2014 में यह बजट 755 करोड़ का रहा।

सरकार ने नेस्ले से मांगा हर्जाना

केंद्र सरकार ने मैगी नूडल्स में स्वीकृत मात्रा से अधिक लेड और मोनोसोडियम ग्लूटामेट पाए जाने के बाद इसकी निर्माता कंपनी नेस्ले से हर्जाना देने को कहा है। इसके लिए सरकार ने देश के उपभोक्ताओं की ओर से राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में दावा पेश किया है। उपभोक्ता आयोग, जिसके पास अ‌र्द्ध-न्यायिक शक्तियां हैं, मामले के गुण-दोष के आधार पर हर्जाने की रकम तय करेगा।

खाद्य मंत्रालय के तहत उपभोक्ता मामलों के एक अधिकारी ने रविवार को बताया कि यह जन स्वास्थ्य से जुड़ा गंभीर मामला है। नेस्ले पर अनुचित व्यापार और भ्रामक विज्ञापन में लिप्त रहने का आरोप लगाया गया है। उन्होंने कहा कि किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी से सरकार द्वारा हर्जाना मांगने का यह पहला उदाहरण है। भारत में नेस्ले के प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी को अभी तक किसी तरह का नोटिस नहीं मिला है।

देश-विदेश में मैगी पर प्रतिबंध

मैगी के खिलाफ बन रहे माहौल के बीच कर्नाटक और गोवा में मैगी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके साथ ही बहरीन में भी भारतीय मैगी पर रोक लगा दिया गया है। कनाडा में भारत से मंगाए गए मैगी के नमूनों को जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजा गया है। कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री यूटी खादर ने बताया कि हमने जनता से इसका इस्तेमाल नहीं करने और नेस्ले से अपना माल बाजार से वापस ले लेने को कहा है। गोवा के मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पार्सेकर ने कहा कि उनकी सरकार अन्य ब्रांडों के उत्पादों की भी जांच करवाएगी।

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