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ओएनजीसी के हिस्से के पेट्रोल पंप भी एमआरपीएल खोलेगी

भारत की ऊर्जा सुरक्षा को सुदृढ़ बनाने के लिए ओएनजीसी की भूमिका के बारे में कंपनी के सीएमडी ने विशेष संवाददाता जयप्रकाश रंजन को विस्तार से बताया।

By Anand RajEdited By: Published: Wed, 29 Jun 2016 01:28 AM (IST)Updated: Wed, 29 Jun 2016 03:41 AM (IST)

नई दिल्ली। किसी भी राष्ट्र की आतंरिक और बाहरी सुरक्षा के साथ ही अब उसकी ऊर्जा सुरक्षा भी काफी महत्वपूर्ण हो गई है। भारत की ऊर्जा सुरक्षा को सुदृढ़ बनाने के लिए सरकार की तरफ जो कोशिश हो रही है उसमें ओएनजीसी की भूमिका काफी अहम होगी। ओएनजीसी के सीएमडी डी. के. सराफ ने इस संदर्भ में अपनी कंपनी की भूमिका के बारे में विशेष संवाददाता जयप्रकाश रंजन से विस्तार से बताया।

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देश की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए ओएनजीसी ने पिछले दो वर्षो में क्या किया है?

-पेट्रोलियम उत्पादों की खोज से जुड़ी किसी कंपनी ने क्या किया है इसका पता लगाने के लिए तीन फार्मूले आजमाये जाते हैं। इसे ईपीडी कहा जाता है। यानी एक्सप्लोरेशन, प्रोडक्शन व डेवलपमेंट। सबसे पहले एक्सप्लोरेशन यानी तेल व गैस की खोज की बात करें तो इन दो वर्षो में हमारा रिजर्व तेजी से बढ़ा है। हम हर वर्ष पिछले साल के मुकाबले ज्यादा एक्सप्लोर कर रहे हैं। इसके बाद खोजे गये ब्लाकों के विकास के मामले में भी अब लगातार पिछले वर्ष के मुकाबले बेहतर काम कर हैं। जहां तक उत्पादन की बात है तो कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ने लगा है।

पिछले सात-आठ वर्षो से कंपनी का तेल उत्पादन घट रहा था। वर्ष 2014-15 में यह स्थिर हुआ था और वर्ष 2015-16 में इसमें 0.4 फीसद की बढोतरी हुई है। हालांकि गैस उत्पादन में दो फीसद की गिरावट हुई है। लेकिन हमने गैस उत्पादन बढ़ाने के लिए जो नए कदम उठाये हैं उससे वर्ष 2020 तक हमारे गैस उत्पादन में काफी बढ़ोतरी होगी।

तेल व गैस उत्पादन बढ़ाने के लिए ओएनजीसी की तरफ से क्या कदम उठाये गये हैं

-सबसे अहम कदम हमने केजी बेसिन के डीडब्लूएन-98/2 ब्लाक में ओएनजीसी के इतिहास की सबसे बड़ी गैस व तेल उत्पादन योजना को मंजूरी दी है। इसकी कुल लागत 34,012 करोड़ रुपये की है। इस ब्लाक के दो क्लस्टरों से गैस का उत्पादन जून, 2019 से और कच्चे तेल का उत्पादन मार्च, 2020 से शुरु हो जाएगा। इन दोनों ब्लाकों में संयुक्त तौर पर 2.353 करोड़ टन कच्चा तेल और तकरीबन 51 अरब घन मीटर गैस होने के आसार हैं। इससे कंपनी के गैस उत्पादन में 20 फीसद और कच्चे तेल के उत्पादन में 16 फीसद का इजाफा होगा।

यह योजना अपने आप में ही देश की ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से काफी अहम साबित होगा। लेकिन मैं आपको बताना चाहूंगा यह भले ही अभी सबसे बड़ी खोज परियोजना हो लेकिन यह अंतिम नहीं होगी। इस तरह की कई बड़ी परियोजनाओं पर हम काम कर रहे हैं। इनका समय आने पर हम खुलासा करेंगे।

एक समय ओएनजीसी ऊर्जा से जुड़े दूसरे क्षेत्रों में विस्तार को लेकर काफी उत्साहित थी लेकिन अब शायद फोकस बदल गया है?

-ओएनजीसी दूसरे क्षेत्रों में विस्तार को लेकर खुले दिमाग से काम कर रही है लेकिन हमारी वरीयता साफ है कि हमें सबसे पहले देश की ऊर्जा सुरक्षा पर सबसे ज्यादा ध्यान देना है। त्रिपुरा में गैस आधारित बिजली प्लांट लगाने की हमारी योजना (ओटीपीसी) उम्मीद से भी बेहतर का कर रही है। पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में इससे बिजली संकट दूर करने में मदद मिली है। बांग्लादेश को निर्यात हो रहा है।

दहेज में दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा पेट्रोरसायन लगाने का काम लगभग पूरा होने वाला है। यह प्रोजेक्ट हमारी सब्सिडियरी ओएनजीसी पेट्रो एडिशंस लिमिटेड (ओपीएएल) लगा रही है। ओएनजीसी मंगलोर पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड काम भी बहुत अच्छी प्रगति कर रही है। ये सब हमारे काम काज के विस्तार का ही हिस्सा है।

कंपनी के पास पेट्रोल पंप खोलने का भी लाइसेंस था, उसका क्या हुआ?

-हां, ओएनजीसी को बहुत पहले पेट्रोलियम उत्पादों के खुदरा कारोबार यानी पेट्रोल पंप खोलने का लाइसेंस मिला था। हमें 1100 लाइसेंस मिले थे। लेकिन बाद में सब्सिडी का मसला होने की वजह से यह फायदे का सौदा नहीं रहा। इसी बीच हमारी सब्सिडियरी एमआरपीएल को भी पेट्रोल पंप खोलने का लाइसेंस मिला था। अब हमने यह फैसला किया है कि ओएनजीसी अपने हिस्से के पेट्रोल पंप का लाइसेंस भी एमआरपीएल को दे देगी। इस तरह से एमआरपीएल फिलहाल तकरीबन 1600 पेट्रोल पंप खोल पाएगी।

एमआरपीएल पहले चरण में दक्षिण भारत में पेट्रोल पंपों का नेटवर्क बनाएगी। उसके बाद वह देश के दूसरे हिस्सों में नेटवर्क का विस्तार करेगी। पिछले दो वर्षो के भीतर केंद्र सरकार ने पेट्रोलियम क्षेत्र के लिए जिन नई नीतियों की घोषणा की है उससे हमारे लिए फिलहाल एक्सप्लोरेशन व प्रोडक्शन के काम में ही बने रहने में ज्यादा लाभ है।

देश-विदेश में तेल व गैस खोज में हमारे पास कई अवसर पैदा होंगे। वह चाहे गैस प्राइसिंग पॉलिसी हो या छोटे तेल फील्डों को नए सिरे से बेचने की नीति हो या ओपन एकरेज पॉलिसी हो। इनसे हमारे लिए काफी संभावनाएं पैदा होंगी।

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