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प्रधानमंत्री जन-धन योजना के आधे से अधिक खातों में नहीं हो रहा कोई लेन-देन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी जनधन योजना के तहत अब तक खुले करीब 16 करोड़ खातों में से आधे से भी ज्यादा खाते निष्क्रिय पड़े हैं। जनधन योजना के तहत ज्यादातर खाते सरकारी बैंकों में खुलवाये गए हैं। इन बैंकों के लिए जीरो बैलेंस वाले इन खातों के रखरखाव का

By Shashi Bhushan KumarEdited By: Published: Mon, 15 Jun 2015 09:11 AM (IST)Updated: Mon, 15 Jun 2015 04:10 PM (IST)

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी जनधन योजना के तहत अब तक खुले करीब 16 करोड़ खातों में से आधे से भी ज्यादा खाते निष्क्रिय पड़े हैं। जनधन योजना के तहत ज्यादातर खाते सरकारी बैंकों में खुलवाये गए हैं। इन बैंकों के लिए जीरो बैलेंस वाले इन खातों के रखरखाव का खर्च निकालना भी मुश्किल हो रहा है।

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जनधन योजना के तहत बैंकिंग सेवा से वंचित देश के साढ़े सात करोड़ परिवारों को लाने का लक्ष्य रखा गया है। योजना की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक अब तक खुले खातों में लगभग 18 करोड़ रुपये बैलेंस है। लेकिन अब तक खुले 16 करोड़ खातों में से 53 फीसद खातों में जीरो बैलेंस है और खाता खुलने के बाद से कोई लेन-देन नहीं हुआ है। अब इन खातों को जारी रखने पर होनेवाले खर्च को लेकर बैंक परेशान है।

जानकारों के मुताबिक एक खाते का परिचालन जारी का खर्च तकरीबन 250 रुपये वार्षिक आता है। इस हिसाब से 16 करोड़ खातों में से 53 फीसद खातों को जारी रखने का खर्च 2100 करोड़ रुपये सालाना होता है। जन-धन योजना के तहत खुले खातों में से 9.61 करोड़ खाते ग्रामीण क्षेत्रों में खुले हैं। जबकि 6.38 करोड़ खाते शहरी क्षेत्रों में खुले हैं। बैंकों की तरफ से अबतक 14.34 करोड़ रुपे कार्ड जारी किए जा चुके हैं। हालांकि जनधन के तहत खुले कुल खातों की संख्या 16 करोड़ है और इसमें से सरकारी बैंकों ने 12.49 करोड़ खाते खोले हैं।

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