Move to Jagran APP

रेटिंग सुधारने के मंसूबों पर मूडीज ने डाला पानी

ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत की साख को बेहतर करने की राजग सरकार के मंसूबों पर पानी पेर दिया है। भारतीय अर्थव्यवस्था पर मंगलवार को मूडीज की तरफ से जारी रिपोर्ट ने केंद्र सरकार की आर्थिक सुधार की नीतियों को लेकर भी गंभीर सवाल उठा दिए हैं।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Tue, 30 Jun 2015 08:42 PM (IST)Updated: Wed, 01 Jul 2015 10:07 AM (IST)
रेटिंग सुधारने के मंसूबों पर मूडीज ने डाला पानी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत की साख को बेहतर करने की राजग सरकार के मंसूबों पर पानी पेर दिया है। भारतीय अर्थव्यवस्था पर मंगलवार को मूडीज की तरफ से जारी रिपोर्ट ने केंद्र सरकार की आर्थिक सुधार की नीतियों को लेकर भी गंभीर सवाल उठा दिए हैं।

loksabha election banner

रिपोर्ट में देश की मौजूदा ग्रामीण स्थिति को बहुत खराब बताया गया है। निवेश के लिहाज से भारत को बीएएए 3 की रेटिंग दी गई है। इसका मतलब है कि भारत निवेश के लिए सही जगह नहीं है। हालांकि इसने भारतीय अर्थव्यवस्था को अब भी संभावनाओं वाला माना है।

मूडीज की इस 'इनसाइड इंडिया' रिपोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि मोदी सरकार आर्थिक सुधार को लेकर अपेक्षित गति से आगे नहीं बढ़ रही है, जो कुछ हद तक निराशा पैदा करता है। एक सर्वे के आधार पर तैयार इस रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में नीतिगत जड़ता की स्थिति से निराशा का माहौल बन रहा है।

सर्वे में भाग लेने वाले आधे लोगों ने माना है कि सुधार की गति का मंद होना आर्थिक विकास की राह में सबसे बड़ी अड़चन है। बहुदलीय व्यवस्था और संघवाद पर आधारित लोकतंत्र की वजह से कई बार नीतियों को लेकर त्वरित फैसला लेने में दिक्कत आती है, जबकि कई नीतियां भारत को मजबूत करने वाली हैं।

वैसे, इसमें भारत की आर्थिक विकास दर के 7.5 फीसद रहने के पुराने अनुमान को अभी भी बनाए रखा गया है। यह भी कहा गया है कि समूह 20 देशों में भारत सबसे तेजी से विकास करने वाला देश बना रहेगा। मूडीज ने कई अन्य एजेंसियों की तरफ ग्रामीण अर्थव्यवस्था में उत्पन्न संकट की तरफ सरकार का ध्यान आकर्षित करवाया है।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मांग लगातार घट रही है। इसका मतलब है कि वहां आमदनी घट रही है। यह स्थिति चालू वर्ष के दौरान भी बनी रहेगी। अगर मानसून सामान्य नहीं रहता है तो स्थिति और बिगड़ सकती है। सर्वे में शामिल 47 फीसद ने सुधार की गति के धीमी होने को देश की अर्थव्यवस्था के सामने सबसे बड़ी चुनौती माना है। जबकि 38 फीसद लोगों ने ढांचागत समस्याओं को दूसरी सबसे बड़ी चुनौती करार दिया है।

यह भी पढ़ें- इन्फोसिस में 6 गुना, विप्रो में दोगुना बढ़े करोड़पति

यह भी पढ़ें- एयरटेल बनी विश्व की तीसरी सबसे बड़ी मोबाइल ऑपरेटर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.