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केंद्र के एजेंडे की दिशा में बढ़ी मास्टरकार्ड

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट 2015-16 में एक अहम घोषणा की थी कि सरकार भारत को नकदी रहित समाज बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाएगी। सरकार की तरफ से अभी इसके लिए कोई कदम तो नहीं उठाए गए हैं, लेकिन क्रेडिट कार्ड लेनदेन को गारंटी देने वाली

By Shashi Bhushan KumarEdited By: Published: Wed, 27 May 2015 08:17 AM (IST)Updated: Wed, 27 May 2015 08:34 AM (IST)
केंद्र के एजेंडे की दिशा में बढ़ी मास्टरकार्ड

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट 2015-16 में एक अहम घोषणा की थी कि सरकार भारत को नकदी रहित समाज बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाएगी। सरकार की तरफ से अभी इसके लिए कोई कदम तो नहीं उठाए गए हैं, लेकिन क्रेडिट कार्ड लेनदेन को गारंटी देने वाली दुनिया की एक बड़ी कंपनी मास्टरकार्ड ने इस दिशा में कदम उठाने का एलान कर दिया है। मास्टरकार्ड जल्द ही देश के 5.7 करोड़ खुदरा कारोबारियों को न सिर्फ डेबिट व क्रेडिट कार्ड की उपयोगिता को लेकर प्रशिक्षित करेगी, बल्कि इसका ढांचा भी मुहैया कराएगी। मास्टरकार्ड ने खुदरा कारोबारियों के संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया टेडर्स (सीएआइटी) के साथ समझौता किया है।

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मास्टरकार्ड के डिवीजन प्रेसीडेंट (दक्षिण एशिया) व भारतीय कारोबार के प्रमुख अरी सरकार ने दैनिक जागरण को बताया कि हमारा कदम देश में छोटे कारोबारियों के कामकाज को पारदर्शी बनाएगा। साथ ही इससे काले धन के खिलाफ सरकार की मुहिम को बल भी मिलेगा। सरकार के राजस्व में भी वृद्धि होगी। पहले चरण में दिल्ली, मुंबई और पुणो स्थित छोटे-छोटे कारोबारियों को डेबिट व क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि भारत में जितने भी बिक्री केंद्र हैं, उनमें से महज दो फीसद ही किसी प्रकार के कार्ड का इस्तेमाल करते हैं। इससे कारोबारियों को कई फायदे होंगे। पहला तो उनकी बिक्री बढ़ेगी और दूसरा हिसाब किताब साफ-सुथरा होने से उन्हें आसानी से कर्ज मिलेगा।

सीएआइटी के अध्यक्ष प्रवीण खंडेलवाल बताते हैं कि विदेशी व संगठित क्षेत्र की बड़ी कंपनियों के मुकाबले ठहरने के लिए जरूरी है कि छोटे व मझोले दुकानदार भी क्रेडिट व डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करें। जीएसटी लागू होने के बाद तो यह और जरूरी हो जाएगा। वजह यह है कि तब सब कुछ ऑनलाइन हो जाएगा। उनका कहना है कि देश के 5.7 करोड़ दुकानों में से महज 20 फीसद दुकानदारों के पास ही कोई न कोई कार्ड है। इन दुकानों में कम से कम 10 करोड़ लोगों का सीधा हिस्सा है। जबकि औसतन हर एक बिक्री केंद्र में सात से आठ लोगों को इससे रोजगार मिला हुआ है। इस तरह से एक झटके में 40 से 50 करोड़ लोगों को कार्ड दिया जा सकता है। साथ ही मोटे तौर पर जैसे ही कोई दुकान कार्ड स्वीकारना शुरू करती है उसके कारोबार में 25-30 फीसद तक बढ़ोतरी हो जाती है।

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