रसोई गैस सब्सिडी देने का तरीका बदलेगा
पेट्रोलियम क्षेत्र में जारी सुधार का पहिया अभी थमने वाला नहीं है। खास तौर पर सरकार रसोई गैस सब्सिडी में कुछ बड़े सुधार की तैयारी में है। इस पर गहन चर्चा चल रही है कि क्या ग्राहकों को प्रति किलो के हिसाब से रसोई गैस सब्सिडी दी जाए। अभी सिर्फ सिलेंडर के हिसाब से सब्सिडी दी जाती है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पेट्रोलियम क्षेत्र में जारी सुधार का पहिया अभी थमने वाला नहीं है। खास तौर पर सरकार रसोई गैस सब्सिडी में कुछ बड़े सुधार की तैयारी में है। इस पर गहन चर्चा चल रही है कि क्या ग्राहकों को प्रति किलो के हिसाब से रसोई गैस सब्सिडी दी जाए। अभी सिर्फ सिलेंडर के हिसाब से सब्सिडी दी जाती है। अगर ऐसा हो जाता है तो फिर सरकारी तेल कंपनियों की तरफ से बाजार में अलग-अलग आकार के सिलेंडर उतारे जा सकते हैं। इससे ग्राहक भी अपनी खपत देखकर बड़े, छोटे या मझोले आकार के सिलेंडर का चयन कर सकेंगे।
अभी सिर्फ सामान्य आकार [14.2 किलो] के गैस सिलेंडर पर ही सब्सिडी दी जाती है। हाल ही में तेल कंपनियों ने बाजार में सीमित मात्रा में छोटे सिलेंडर उतारे हैं, लेकिन उन्हें कोई भी सब्सिडी नहीं दी जाती। अगर सरकार प्रति किलोग्राम आधार पर सब्सिडी देने का रास्ता अख्तियार कर लेती है तो फिर छोटे सिलेंडर खरीदने वाले ग्राहकों को भी फायदा मिलेगा। इस तरह के सिलेंडर खास तौर पर गरीबों, बगैर गैस कनेक्शन वाले प्रवासियों, छात्रों वगैरह के बीच लोकप्रिय हैं। पेट्रोलियम मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को इस बात के संकेत दिए।
उक्त अधिकारी के मुताबिक अभी सरकार के समक्ष सीधे बैंक खाते में रसोई गैस सब्सिडी देने की योजना को सफलतापूर्वक लागू करने की चुनौती है। लेकिन इसके साथ ही रसोई गैस के क्षेत्र में कई सुधार करने बाकी हैं। सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर की संख्या घटाने के विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है। इसके लिए डाटा बैंक तैयार किया जा रहा है। अगले छह महीने से एक वर्ष के भीतर रसोई गैस में सारे सुधार लागू कर दिए जाएंगे। मोदी सरकार ने पिछले शनिवार को पेट्रोलियम क्षेत्र में चार अहम मुद्दों पर एक साथ फैसला लिया था। इसमें डीजल कीमत को सरकारी नियंत्रण खत्म करना, प्राकृतिक गैस मूल्य को तय करना और सीधे बैंक खाते में रसोई गैस सब्सिडी देने पर निर्णय शामिल है।