ऑस्ट्रेलिया में अदाणी को झटका, भूस्वामियों ने जमीन का सौदा किया खारिज
भारत की खनन क्षेत्र की प्रमुख कंपनी अदाणी को भूमि अधिग्रहण में अॉस्ट्रेलिया में बड़ा झटका लगा है। क्योंकि वहां के परंपरागत जनजातीय भू-स्वामियों ने अदाणी की ऑस्ट्रेलिया के कोयला-संपन्न क्वीन्सलैंड राज्य में 16.5 अरब डॉलर की खनन, रेल और बंदरगाह परियोजना को खारिज कर दिया है। इस परियोजना को
मेलबर्न। भारत की खनन क्षेत्र की प्रमुख कंपनी अदाणी को जमीन के सौदे में अॉस्ट्रेलिया में बड़ा झटका लगा है। क्योंकि वहां के परंपरागत जनजातीय भू-स्वामियों ने अदाणी की ऑस्ट्रेलिया के कोयला-संपन्न क्वीन्सलैंड राज्य में 16.5 अरब डॉलर की खनन, रेल और बंदरगाह परियोजना को खारिज कर दिया है। इस परियोजना को हालिया दौर का सबसे बड़ा मामला माना जा रहा है। लेकिन इस सौदे में स्थानीय स्वामित्व कानून की भी अहम भूमिका है।
खनन के लिए तय भूमि और गैलिली बेसिन के बड़े हिस्से का परंपरागत स्वामित्व वांगन और जागालिंगु (डब्ल्यूऐंडजे) लोगों का है और उन्होंने इस क्षेत्र में कोयला खदान बनाने के लिए अदाणी के साथ जनजातीय भूमि उपयोग समझौते को खारिज कर दिया है।
खबरों में कहा गया है कि अदाणी ने इन जनजातीय लोगों के अधिकारों का उल्लंघन करने के लिए कानूनी पहल की है और यदि वह सफल रही तो क्वींसलैंड सरकार को अनिवार्य तौर पर भूमि अधिग्रहण और कारमाइकल ब्लॉक के लिए खनन पट्टा जारी करने की अनुमति होगी।
ये जानजातीय समुदाय अब नई लेबर सरकार के साथ बातचीत करने की मांग कर रहे हैं ताकि सरकार को अदाणी की कानूनी कार्रवाई को समर्थन देने से इनकार करने, अनिवार्य अधिग्रहण खारिज करने और कारमाइकल के लिए खनन पट्टे के लिए कंपनी का आवेदन खारिज करने के लिए राजी किया जा सके।
जनजातीय समुदाय डब्ल्यूऐंडजे के प्रवक्ता एड्रियन बुर्रागुब्बा ने कहा, 'क्वींसलैंड की लेबर सरकार के पास सही कदम उठाने का अवसर है। हम प्रीमियर अनास्तासिया पलास्जुक और खान मंत्री एंथनी लिन्हैम से मांग करते हैं कि हमारी भूमि का अनिवार्य अधिग्रहण खारिज करें। उन्हें कारमाइकल के लिए अदाणी के खनन पट्टे का आवेदन खारिज करना चाहिए।'
उन्होंने कहा, 'यदि वे कारमाइकल को मंजूरी देते हैं तो हमारी जमीन और अनादि काल से इससे चला आ रहा हमारा संबंध कटने के लिए वही जिम्मेदार होंगे।'
बुर्रागुब्बा ने कहा, 'डब्ल्यूऐंडजे ने कभी भी अदाणी की विशाल खदान के लिए मंजूरी नहीं दी और न कभी देगा। इससे हमारे पूर्वजों की जमीन, जल, कुल देवता जैसे पशु एवं वनस्पति और हमारे सपने नष्ट हो जाएंगे। हम सरकार को बता देना चाहते हैं कि इसे रोकने के लिए जो भी संभव हो हम करेंगे।'