आइटी क्षेत्र को कर रियायत की दरकार
निजी क्षेत्र में सर्वाधिक नौकरियां देने और निर्यात के जरिये विदेशी मुद्रा कमाने वाले सूचना प्रौद्योगिकी (आइटी) क्षेत्र को तेज रफ्तार कायम रखने के लिए कर रियायत जारी रखने की दरकार है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। निजी क्षेत्र में सर्वाधिक नौकरियां देने और निर्यात के जरिये विदेशी मुद्रा कमाने वाले सूचना प्रौद्योगिकी (आइटी) क्षेत्र को तेज रफ्तार कायम रखने के लिए कर रियायत जारी रखने की दरकार है। सरकार अगर आम बजट में कर नीतियां आईटी क्षेत्र के अनुकूल बनाती है तो न सिर्फ 'स्टार्ट-अप' जैसे कार्यक्रम रफ्तार पकड़ सकते हैं बल्कि अर्थव्यवस्था में रोजगार सृजन की गति भी बढ़ सकती है।
असल में सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र से करीब 35 लाख लोगों को रोजगार मिल रहा है जो निजी क्षेत्र में सर्वाधिक है। खास बात यह है कि इस क्षेत्र में थोड़ी सी पूंजी के साथ युवाओं ने 'स्टार्ट अप' के रूप में स्वरोजगार की शुरुआत कर उद्योग जगत में नए मुकाम बनाए हैं। इस तरह यह क्षेत्र स्टार्ट अप को प्रोत्साहन देने वाला है और नासकॉम के मुताबिक इस मामले में भारत के सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र का दुनिया में चौथा स्थान है।
सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र का देश के निर्यात में भी अहम योगदान है। नासकॉम के मुताबिक वर्ष 2015 में भारत से सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र से करीब 100 अरब डालर का निर्यात हुआ। इसके अलावा देश केजीडीपी में भी इस क्षेत्र का योगदान करीब 10 प्रतिशत है।
यही वजह है कि सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने गुरुवार को जब वित्त मंत्री अरुण जेटली से आम बजट के संबंध में चर्चा की तो उन्होंने सबसे प्रमुख मांग कर राहत और निर्यात बढ़ाने के उपाय करने के संबंध में ही उठाई। वित्त मंत्री ने भी कहा कि आइटी क्षेत्र सरकार के डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया और स्टार्ट अप इंडिया जैसे कार्यक्रमों के लिए मुख्य स्तंभ है।
सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने कहा कि एसईजेड में स्थिति आइटी कंपनियों को कर छूट का लाभ मार्च 2019 तक जारी रखा जाए। उन्होंने कहा कि एसईजेड स्थापित करने पर उन्होंने काफी निवेश किया है, इसलिए उन्हें इसका लाभ मिलना चाहिए। उन्होंने कॉरपोरेट टैक्स की दर घटाने तथा स्टार्ट-अप को कर से छूट देने की भी मांग की।
बैठक के बाद नासकॉम के अध्यक्ष आर. चंद्रशेखर ने कहा कि उन्होंने दोहरे कराधान और सॉफ्टवेयर उत्पादों के संबंध में अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं।
इसके अलावा घरेलू मोबाइल उद्योग में जान फूंकने के लिए समयबद्ध नीति तथा प्रदूषण रहित उद्योगों और वाहनों को प्रोत्साहन देने की मांग भी सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने वित्त मंत्री के समक्ष रखी। उन्होंने कहा कि घरेलू मोबाइल और टेबलेट विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए उपयुक्त शुल्क संरचना अपनानी चाहिए। उन्होंने कंपनियों के प्रभावी प्रबंधन के स्थान के संबंध में सरकार के प्रस्ताव पर आशंका जताई। उन्होंने इसे कुछ वर्षो के लिए टालने का आग्रह भी किया है।
फॉक्सकॉन इंडिया के प्रमुख जोश फोल्गर ने कहा कि मोबाइल फोन पर डिफरेंशियल प्राइसिंग को जारी रखने के साथ ही सरकार को इसमें लैपटॉप जैसी अन्य श्रेणियों को भी शामिल करना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने घरेलू मोबाइल उद्योग को बढ़ावा देने के लिए पिछले बजट में घरेलू उद्योग को परोक्ष कर लाभ दिया था। इसके चलते घरेलू मोबाइल निर्माताओं को आयातित मोबाइलों के मुकाबले फायदा हुआ।