ब्याज दरों में बदलाव की संभावना नहीं
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) मंगलवार को अपनी सालाना मौद्रिक नीति की समीक्षा पेश करते हुए ब्याज दरों को यथावत रख सकता है। देश के तमाम हिस्सों में बेमौसम बारिश और खाद्य वस्तुओं की बढ़ती कीमतों के बीच इस बात के अनुमान लगाए जा रहे हैं।
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) मंगलवार को अपनी सालाना मौद्रिक नीति की समीक्षा पेश करते हुए ब्याज दरों को यथावत रख सकता है। देश के तमाम हिस्सों में बेमौसम बारिश और खाद्य वस्तुओं की बढ़ती कीमतों के बीच इस बात के अनुमान लगाए जा रहे हैं। वैसे, उद्योग जगत ब्याज दरों में कटौती की आस लगाए बैठा है।
बैंकरों और विशेषज्ञों का मानना है कि कीमतों के मोर्चे पर कुछ सुधार के बाद आरबीआइ ब्याज दरों में कटौती के संकेत दे सकता है। यूनियन बैंक के सीएमडी अरुण तिवारी ने कहा कि सात अप्रैल को पेश होने वाली नीति में ब्याज दरों में कटौती की संभावना बेहद कम है। मौजूदा स्थितियों को देखते हुए यह बात कही जा सकती है।
पहले ही केंद्रीय बैंक लगातार दो बार नीतिगत दरों में कटौती कर चुका है। चार मार्च को उसने 0.25 फीसद की कटौती की थी। इससे पहले 15 जनवरी को भी आरबीआइ ने इतनी ही कमी का एलान किया था। महंगाई में नरमी और राजकोषीय स्थितियों में सुधार को देखते हुए उसने यह कदम उठाया था। वैसे दोनों ही बार कटौती के संबंध में घोषणा मौद्रिक नीति की समीक्षा की नियत तारीख से इतर हुई।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) की प्रमुख अरुंधती भट्टाचार्य ने कहा कि वास्तव में बैंक नकद आरक्षित अनुपात (सीआआर) में कटौती चाहते हैं। इससे फंड की लागत कम होगी और इसका फायदा लोगों को पहुंचाया जा सकता है। यदि वैधानिक तरलता अनुपात यानी एसएलआर में कमी होती है तो क्या इससे ब्याज दर घटाने में मदद मिलेगी? इसका जवाब देते हुए भट्टाचार्य ने कहा कि फिलहाल इसका बहुत फायदा नहीं होगा।
भारतीय बैंक संघ (आइबीए) के चेयरमैन व इंडियन बैंक के सीएमडी टीएम भसीन ने कहा कि सीआरआर में कटौती की अपेक्षा है ताकि बैंक कर्ज की ब्याज दर घटा सकें। उनका मानना है कि ब्याज दरों को घटाने में इस वक्त रेपो रेट में कमी का बैंकों को ज्यादा फायदा नहीं होगा। वजह यह है कि वे अभी बहुत उधार नहीं ले रहे हैं। सीआरआर बैंकों के कुल जमा का वह हिस्सा है जिसे आरबीआइ के पास रखना होता है। अभी यह चार फीसद है।
एचडीएफसी बैंक की प्रमुख अर्थशास्त्री ज्योतिंदर कौर बोलीं कि बेमौसम हुई बारिश से फसल को भारी नुकसान हो सकता है। इसने आशंका बढ़ा दी है कि आरबीआइ नीतिगत दरों में बदलाव से पहले पूरे असर को देखने के लिए इंतजार करेगा।