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ईरान के तेल एवं गैस क्षेत्र में निवेश बढ़ाएगा भारत

ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी ने भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को आश्वस्त किया कि उनका देश भारत की ऊर्जा जरूरतों के लिए भरोसेमंद साझीदार बना रहेगा।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 17 Apr 2016 08:44 PM (IST)Updated: Sun, 17 Apr 2016 09:11 PM (IST)
ईरान के तेल एवं गैस क्षेत्र में निवेश बढ़ाएगा भारत

तेहरान (प्रेट्र)। ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी ने भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को आश्वस्त किया कि उनका देश भारत की ऊर्जा जरूरतों के लिए भरोसेमंद साझीदार बना रहेगा। दोनों देशों ने संबंधों में मजबूती लाने का फैसला लिया है। भारत का मुख्य जोर तेल और गैस क्षेत्र पर है और उसने इसमें निवेश बढ़ाने का फैसला लिया है।

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दो दिनों की ईरान यात्रा के बाद विदेश मंत्री तेहरान से रूस की राजधानी मास्को के लिए रवाना हो गई। मास्को दौरे में वह रूस, भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की सालाना बैठक में हिस्सा लेंगी। शनिवार को पहुंची स्वराज ने राष्ट्रपति रुहानी से मुलाकात की। उन्होंने अपने ईरानी समकक्ष जावेद जारिफ से बातचीत की और सुप्रीम लीडर सैयद अली खामेनी के सलाहकार अली अकबर विलायती से मुलाकात भी की। विलायती से उन्होंने कई मुद्दों पर चर्चा की।

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परमाणु प्रतिबंध हटने के बाद भारत की निगाह ईरान के साथ गहरे ऊर्जा संबंधों पर है। ईरान के तेल एवं गैस के साथ ही साथ पेट्रोकेमिकल और उर्वरक क्षेत्रों में भारत अभी तक 20 अरब अमेरिकी डॉलर निवेश कर चुका है। भारत ने ईरान से हो रहे 350,000 बैरल रोजाना आयात को भी बढ़ाया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि रुहानी ने चाबहार बंदरगाह को निर्धारक साझीदारी कहा। यह बंदरगाह पूरे क्षेत्र को जोड़ने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऊर्जा सहयोग बढ़ाने और चाबहार बंदरगाह का विकास तेज करना बातचीत के केंद्र में रहा, लेकिन पूरी वार्ता पर अर्थिक मुद्दा छाया रहा।

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ईरान की सीमा अफगानिस्तान और पाकिस्तान से लगती है। रुहानी ने क्षेत्रीय मुद्दे खास तौर से अफगानिस्तान और आतंकवाद की चुनौती पर भारत के साथ और करीबी संपर्क होने की उम्मीद जाहिर की। प्रवक्ता ने कहा कि अपनी तरफ से स्वराज ने जारिफ के साथ हुई चर्चा की जानकारी दी। उन्होंने साफ किया कि भारत हमेशा से ईरान को अपना करीबी मानता चला आ रहा है।

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