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नई विदेश व्यापार नीति में मेक इन इंडिया पर फोकस

भारत सरकार ने अपनी नई विदेश व्‍यापार नीति (एफटीपी) का ऐलान कर दिया है। वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारामन ने नई व्यापार नीति का ऐलान किया जो अगले पांच साल के लिए है। इस नीति के तहत निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 'मेक इन इंडिया' और 'व्यापार में आसानी' पर

By Shashi Bhushan KumarEdited By: Published: Wed, 01 Apr 2015 05:23 PM (IST)Updated: Wed, 01 Apr 2015 06:32 PM (IST)

नई दिल्ली। भारत सरकार ने अपनी नई विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) का ऐलान कर दिया है। वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारामन ने नई व्यापार नीति का ऐलान किया जो अगले पांच साल के लिए है। इस नीति के तहत निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 'मेक इन इंडिया' और 'व्यापार में आसानी' पर काफी जोर दिया गया है। इसके तहत साल 2020 तक भारत को बड़ा व्यापारिक देश बनाने का लक्ष्य रखा गया है।

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वाणिज्य राज्य मंत्री निर्मला सीतारामन ने नई व्यापार नीति का ई-लॉन्च भी किया। साथ ही नई व्यापार नीति का ई-रिलीज भी जारी किया गया। नई पॉलिसी के तहत 2020 तक भारत को विश्व व्यापार में नई ऊंचाईयों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। वित्त मंत्री ने नई विदेश व्यापार नीति की ऑनलाइन लांचिंग करते हुए कहा कि नई पॉलिसी से मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस दोनों सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि उन्होंने माना कि इंफ्रास्ट्रक्चर की अड़चनों को दूर करना अभी एक बड़ी चुनौती है।

हाई वैल्यू एडिशन प्रोडक्ट पर फोकस

नई व्यापार नीति 2015-2020 के मुताबिक भविष्य में मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) करने में हाई वैल्यू-एडिशन प्रोडक्ट पर फोकस रहेगा। दो नई स्कीम एमईआईएस और एसईआईएस का ऐलान किया गया है। ई-कॉमर्स निर्यातकों को एमईआईएस स्कीम के दायरे में लाया जाएगा। एसईजेड को भी एमईआईएस और एसईआईएस का फायदा मिलेगा। सभी रियायतें इन दो स्कीम्स के तहत लाई जाएंगी।

देश में व्यापार करना होगा आसान

वाणिज्य राज्य मंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा कि साल 2020 तक सरकार भारत को बड़े व्यापार का देश बनाना चाहती है। सीतारामन के मुताबिक विदेशी हालात काबू में नहीं किया जा सकता, लेकिन देश में व्यापार को आसान बनाने के हर संभव उपाय किए जाएंगे। कारोबार विस्तार पर फोकस सीतारामन ने कहा कि उत्पाद और सर्विसेज बेहतर बनाने की जरूरत है। बेहतर प्रोडक्ट क्वालिटी पर फोकस करना होगा। इंफ्रास्ट्रक्चर की अड़चनें दूर करना बड़ी चुनौती है और सरकार व्यापार बढ़ाने के लिए कारोबार विस्तार पर फोकस कर रही है।

दो नई स्कीमों की शुरुआत

पॉलिसी के तहत मर्चेंडाइज और सर्विस के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सर्विस एक्सपोर्ट इंडिया स्कीम (एसईआईएस) और मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट इंडिया स्कीम (एमईआईएस) नाम की दो नई स्कीम शुरू की गई हैं। पहले से जारी पांच स्कीम इनमें समाहित हो गई हैं। वैल्यू एडीशन और घरेलू उत्पादों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने वाली इन स्कीमों का मकसद निर्यात में बढ़ोतरी के जरिये रोजगार के अधिक अवसर पैदा करना है। उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स एक्सपोर्टर्स को MEIS और SEIS के दायरे में लाया जाएगा। व्यापार नीति के तहत दी जाने वाली सभी रियायतों को इन दोनों स्कीमों के अंतर्गत लाया जाएगा। वहीं पुरानी पांच योजनाओं को बंद कर दिया गया है। निर्मला सीतारामन के मुताबिक नई व्यापार नीति पुरानी नीतियों से बहुत अलग है और देश में कारोबार को आसान बनाने में मददगार साबित होगी।

मेक इन इंडिया पर जोर

केंद्र सरकार ने नई व्यापार नीति 2015-20 में भारत को 2020 तक व्यापार का बड़ा केंद्र बनाने का लक्ष्य तय किया है। नई व्यापार नीति के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं को प्रोत्साहित करने की पहल की गई है। इसके अलावा ई-कॉमर्स निर्यात को बढ़ावा देने के लिए इसे निर्यात इंसेंटिव वाली योजनाओं में शामिल किया गया है। नई नीति में सरकार ने दो नई स्कीम का ऐलान किया है। निर्मला सीतारामन ने कहा कि नई विदेश व्यापार नीति के तहत भारत को 2020 तक बड़े व्यापार का देश बनाना चाहते हैं। निर्मला सीतारामन ने कहा कि विदेशी हालात को काबू नहीं किया जा सकता है लेकिन देश में व्यापार को आसान बनाने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे। देश में उत्पाद और सर्विस को बेहतर बनाने की जरूरत है और बेहतर प्रोडक्ट क्वालिटी पर फोकस करना होगा। इंफ्रास्ट्रक्चर की अड़चनों को दूर करना बड़ी चुनौती है और सरकार व्यापार को बढ़ाने के लिए कारोबार के विस्तार पर फोकस कर रही है।

निर्यात को मिलेगा बढ़ावा

वाणिज्य मंत्री ने कहा कि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए चलाई जा रही पुरानी योजनाओं को इन दोनों स्कीम के तहत लाया जाएगा। इसके अलावा सेज योजना को भी इन दोनो योजनाओं के तहत लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि ट्रांजेक्शन कॉस्ट को कम करने के लिए 21 विभागों को नामित किया गया है, जो निर्यात संबंधी प्रक्रिया को सरल बनाएंगे। इसके अलावा राज्यों को निर्यात की रणनीति बनाने में केंद्र की मदद दी जाएगी।

डिफेंस और फार्मा पर फोकस

नई विदेश व्यापार नीति में सरकार ने जीरो डिफेक्ट उत्पाद बनाने पर जोर दिया है। वाणिज्य मंत्री ने कहा कि नई पॉलिसी का फोकस हाई वैल्यू ऐडेड उत्पादों के निर्यात पर फोकस किया गया है। इसमें पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद बनाने की बात भी कही गई है। सीतारमण ने कहा कि नई नीति लेबर को प्रोत्साहित करने वाले उत्पादों के निर्यात पर आधारित है। नई नीति में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए ब्रांडिंग कैम्पेन शुरू किया जाएगा।

दुनिया को देंगे टक्कर

वाणिज्य मंत्री ने कहा कि नई नीति का उद्देश्य स्थिर, सतत और बेहतर कारोबारी माहौल तैयार करना है। उन्हेांने कहा कि घरेलू उत्पादों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने की आवश्यकता है। इसके लिए कमजोर मैन्युफैक्चरिंग लिंकेज को मजबूत बनाने की पहल की जाएगी। नई नीति में घरेलू उत्पादों के लिए ग्लोबल स्तर पर नए बाजार तलाशने को तरजीह दी गई है। उन्होंने कहा कि अब तिमाही आधार पर निर्यात का मूल्यांकन किया जाएगा।

2020 तक 900 अरब डॉलर का करेंगे निर्यात

वाणिज्य सचिव राजीव खेर ने कहा कि सरकार का मकसद वर्ष 2020 तक देश के निर्यात को 900 अरब डॉलर तक पहुंचाना है। इससे विश्व निर्यात में भारत की हिस्सेदारी मौजूदा दो फीसदी से बढ़कर 3.5 फीसदी तक पहुंच जाएगी। नई विदेश व्यापार नीति में वित्त वर्ष 2019-20 तक 900 अरब डॉलर का निर्यात लक्ष्य रखा गया है। नई नीति के तहत विश्व निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 2020 तक मौजूदा 2 फीसदी से बढ़ाकर 3.5 फीसदी करने का लक्ष्य तय किया गया है।

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