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निजी बैंकों में विदेशी निवेश की सीमा होगी 100 फीसद, पेमेंट बैंक और छोटे बैंकों को मिलेगा बैंकिंग लाइसेंस

सरकार निजी बैंकों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) की सीमा बढ़ाकर 100 फीसद करने पर विचार कर रही है। यह अभी 74 फीसद है।

By Sudhir JhaEdited By: Published: Thu, 17 Sep 2015 09:16 PM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2015 11:01 AM (IST)

नई दिल्ली। सरकार निजी बैंकों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) की सीमा बढ़ाकर 100 फीसद करने पर विचार कर रही है। यह अभी 74 फीसद है। आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि पेमेंट बैंक और छोटे फाइनैंस बैंक को भी बैंकिग लाइसेंस जारी किए जाएंगे। इसके अलावा राजन ने आधार की अनिवार्यता समाप्त करने पर निराशा जताई और कहा कि इससे रेगुलेटरों को सीमा से ज्यादा कर्ज दिए जाने को रोकने में मदद मिलती है।

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वहीं, सूत्रों ने बताया कि औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआइपीपी) ने निजी बैंकिंग उद्योग में एफडीआइ सीमा बढ़ाने के लिए वित्तीय सेवा विभाग को प्रस्ताव भेजा है। अभी निजी सेक्टर बैंकिंग में 74 फीसद एफडीआइ की अनुमति है। इसमें से 49 फीसद को ऑटोमैटिक रूट और इससे अधिक के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआइपीबी) के जरिये अनुमति मिलती है। हालांकि, बैंकिंग सेक्टर में पोर्टफोलियो निवेश 49 फीसद तक हो सकता है।

इस पहल से मौजूदा निजी बैंकों, भुगतान बैंकों और लघु वित्त बैंकों को विदेशी बाजार का फायदा उठाने में मदद मिलेगी। इससे उनका पूंजी आधार बढ़ेगा। आरबीआइ ने हाल ही में 11 इकाइयों को भुगतान बैंक और 10 को लघु वित्त बैंक स्थापित करने की अनुमति दी है।

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हाल ही में सरकार ने कंपोजिट सीमा की अवधारण पेश की है। लेकिन, इस क्षेत्र की संवेदनशीलता को देखते हुए सरकार ने कहा है कि विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआइआइ) निजी क्षेत्र के बैंकों में पोर्टफोलियो निवेश के लिए तय पूंजी की सीमा पार नहीं कर सकते। निजी क्षेत्र के एचडीएफसी बैंक को विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाकर 74 फीसद करने के लिए सरकार की मंजूरी पहले ही मिल चुकी है।

सरकार एफडीआइ बढ़ाने के लिए कई कदम उठा रही है। इसके तहत मेडिकल उपकरण, रक्षा और निर्माण की गतिविधियों से जुड़े क्षेत्रों के लिए एफडीआइ के मानदंडों में ढील दी गई है। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल से जून की तिमाही के दौरान देश में विदेशी निवेश 31 फीसद बढ़कर 9.50 अरब डॉलर हो गया।

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