अब टाईम के हिसाब से बदलेगा बिजली बिल
केंद्र सरकार एक ऐसी योजना पर काम कर रही है, जिसे लागू होने के बाद अब शाम के वक्त मिक्सी, बाशिंग मशीन, हीटर-गीजर जैसी ज्यादा बिजली खींचने वाले उपकरणों का इस्तेमाल करने पर ज्यादा बिल चुकाने पड़ेंगे। हां यदि इन्ही उपकरणों को पीक टाइम के अलावा जैसे देर रात इस्तेमाल
नई दिल्ली। केंद्र सरकार एक ऐसी योजना पर काम कर रही है, जिसे लागू होने के बाद अब शाम के वक्त मिक्सी, बाशिंग मशीन, हीटर-गीजर जैसी ज्यादा बिजली खींचने वाले उपकरणों का इस्तेमाल करने पर ज्यादा बिल चुकाने पड़ेंगे। हां यदि इन्ही उपकरणों को पीक टाइम के अलावा जैसे देर रात इस्तेमाल किया जाए तो कम बिल चुकाना होगा।
इस योजना को लागू करने से पहले सरकार अभी इलेक्ट्रिसिटी, कोयला, पेट्रोलियम और रिन्यूअल एनर्जी की सप्लाई और इसे उपभोग से संबंधित डेटा का इंतजार कर रही है। डेटा मिलने के बाद सरकार बिजली के रेट्स से संबंधित इस टैरिफ स्ट्रक्चर को लागू करेगी। बिजली के इस्तेमाल और और इसकी सप्लाई से संबंधित डेटा उपलब्ध कराने में सरकारी थिंकटैंक नीति आयोग सरकार की मदद करेगा। यह शीघ्र ही डेटा मैनेजमेंट सेल की स्थापना करेगा। नीति आयोग को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के साथ मिलकर एक नॉलेज सपोर्ट सिस्टम बनाने का काम सौंपा गया है।
यह यूनिट करीब आधे दर्जन मंत्रालयों और विभागों के साथ मिलकर अधिक व्यापक और विस्तृत तरीके से भारत में बिजली उपभोग के पैटर्न का पता लगाएगा। नीति आयोग इलेक्ट्रॉनिक अप्लायंस के इस्तेमाल की निगरानी करेगा और किस प्रकार का रुझान चल रहा है, यह पता लगाएग। इसी के आधार पर रिहायशी ग्राहकों के लिए टाइम ऑफ डे टैरिफ का स्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा। इसने यूएस एनर्जी इंफर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन से समझौता किया है।
यह एजेंसी बेहतर पॉलिसी बनाने को बढ़ावा देने, सक्षम मार्केट और बिजली की लोगों की समझ में सुधार के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष एनर्जी इंफर्मेशन का संग्रह, विश्लेषण और प्रेषण करती है। टाइम ऑफ डे टैरिफ ऐसा स्ट्रक्चर है जिसमें दिन के अलग-अलग समय में बिजली के उपयोग के लिए अलग-अलग रेट्स ऑफर किए जाएंगे। इसका मकसद पीक ऑवर्स के दौरान बिजली के उपभोग को कम करना है।