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टाटा-सिया एयरलाइंस का एफडीआइ प्रस्ताव मंजूर

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार ने टाटा-सिया एयरलाइंस के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। विदेशी निवेश संव‌र्द्धन बोर्ड (एफआइपीबी) की गुरुवार को हुई बैठक में इसे हरी झंडी दिखाने का निर्णय हुआ। प्रस्ताव के तहत सिंगापुर एयरलाइंस टाटा के साथ भारत में शुरू की जाने वाली संयुक्त उद्यम एयरलाइन में अपनी 4

By Edited By: Published: Thu, 24 Oct 2013 08:27 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार ने टाटा-सिया एयरलाइंस के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। विदेशी निवेश संव‌र्द्धन बोर्ड (एफआइपीबी) की गुरुवार को हुई बैठक में इसे हरी झंडी दिखाने का निर्णय हुआ। प्रस्ताव के तहत सिंगापुर एयरलाइंस टाटा के साथ भारत में शुरू की जाने वाली संयुक्त उद्यम एयरलाइन में अपनी 49 फीसद इक्विटी भागीदारी के तहत 4.9 करोड़ डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश करेगी। शेष 51 फीसद बहुमत भागीदारी के तहत 5.1 करोड़ डॉलर के बराबर का रुपये में होने वाला निवेश टाटा संस की ओर से किया जाएगा।

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इस तरह टाटा-सिया एयरलाइंस में दोनों कंपनियों की ओर से कुल मिलाकर 10 करोड़ डॉलर के निवेश का प्रस्ताव है। बैठक के बाद एफआइपीबी के मुखिया राजस्व सचिव अरविंद मायाराम ने संवाददाताओं से कहा, 'हमने संयुक्त उद्यम एयरलाइन कंपनी के समक्ष विदेशी निवेश से जुड़ी कोई शर्त नहीं रखी है। माना जा रहा है कि इसका कारण यह है कि टाटा ने सरकार को भरोसा दिया है कि एयरलाइन में हमेशा उनकी या भारतीय कंपनियों की ही बहुमत हिस्सेदारी रहेगी। चाहे एयरलाइन घरेलू सेक्टर में उड़ाने भरे या अंतरराष्ट्रीय उड़ानें प्रारंभ करे।'

टाटा-सिया एयरलाइंस के नाम से संयुक्त उद्यम कंपनी को कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने अभी पिछले हफ्ते ही पंजीकृत किया है। एफआइपीबी से विदेशी निवेश की मंजूरी मिलने के बाद अब कंपनी विमानन मंत्रालय से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) प्राप्त करेगी। एनओसी प्राप्त करने के बाद उसे एयर ऑपरेशंस परमिट (एओपी) के लिए नियामक डीजीसीए को आवेदन करना होगा।

इस प्रक्रिया के तहत एयर एशिया इंडिया पहले ही एओपी के लिए आवेदन कर चुकी है। हालांकि, जांच के लिए जरूरी विमान उपलब्ध न करा पाने के कारण इस एयरलाइन को अभी तक एओपी नहीं मिला है। इन एयरलाइन में मलेशिया की एयर एशिया की बहुमत 50 फीसद हिस्सेदारी है, जबकि 30 फीसद हिस्सेदारी टाटा संस और 20 फीसद टेलिस्ट्रा ट्रेड प्लेस की है। यह संयुक्त उद्यम एयरलाइन कम लागत की हवाई सेवाएं चलाएगी। दूसरी ओर टाटा-सिया एयरलाइंस को पूर्ण एयरलाइन के रूप में सामान्य हवाई सेवाओं का संचालन करने के लिए लाया जा रहा है। सभी मंजूरिया हासिल करने के बाद इस एयरलाइन के अगले साल कभी उड़ाने शुरू करने की संभावना है। यह यात्री सेवाओं के साथ कारगो एवं अन्य सहायक सेवाएं भी चलाएगी।

पहले भी किए थे टाटा ने प्रयास

एयर एशिया के साथ बजट एयरलाइन के प्रस्ताव के बाद टाटा ने अभी कुछ दिनों पहले ही सिंगापुर एयरलाइंस के साथ पूर्ण एयरलाइन प्रारंभ करने का एलान किया था। पूर्ण एयरलाइन लाने का यह टाटा का तीसरा प्रयास है। इससे पहले जेआरडी टाटा ने 1932 में टाटा एयरलाइंस के नाम से एयरलाइन की शुरुआत की थी। इसे 1946 में एयर इंडिया नाम दिया गया था। बाद में 1953 में सरकार ने राष्ट्रीयकरण कर अपने कब्जे में ले लिया। इसके बाद राजग सरकार के समय रतन टाटा ने सिंगापुर एयरलाइंस के साथ पूर्ण एयरलाइन लाने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन विवाद के चलते पैर पीछे खींच लिए थे।


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