प्याज को आवश्यक वस्तु में शामिल करने के खिलाफ उठने लगी आवाजें
प्याज को आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत लाकर उस पर अधिकतम मूल्य तय करने की योजना से महाराष्ट्र के प्याज उत्पादक डरे हुए हैं। योजना के तहत प्याज की ढुलाई पर रेल में कुछ रियायत दिए जाने की बात भी सरकार की तरफ से कही जा रही है। लासलगांव एग्रीकल्चर प्रोडेक्ट मार्किट कमेटी के चेयरमैन नाना साहेब पाटिल
लासलगांव [नासिक]। प्याज को आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत लाकर उस पर न्यूनतम मूल्य तय करने की योजना से महाराष्ट्र के प्याज उत्पादक डरे हुए हैं। योजना के तहत प्याज की ढुलाई पर रेल में कुछ रियायत दिए जाने की बात भी सरकार की तरफ से कही जा रही है।
लासलगांव एग्रीकल्चर प्रॉडक्ट मार्केट कमेटी के चेयरमैन नाना साहेब पाटिल के मुताबिक किसानों के हितों को ध्यान में रखने की बात कहकर सरकार प्याज को आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी में लाना चाहती है। लेकिन यह कानून के विरुद्ध है। उन्होंने कहा कि इस कानून के मुताबिक वस्तुओं का तय सीमा से अधिक स्टोर करना कानूनन अपराध है। लेकिन इस श्रेणी में सब्जियां नहीं आती हैं।
उनके मुताबिक प्याज को इस अधिनियम के तहत लाने के बाद कोई भी इसको तय सीमा से अधिक स्टोर नहीं कर सकेगा। पाटिल का कहना है कि मार्च से सितंबर तक प्याज की पैदावार नहीं होती है। इस अधिनियम के लागू होने के बाद पैदावारी न होने पर इन माह में प्याज की सप्लाई जारी रखना उत्पादकों के लिए बेहद मुश्किल हो जाएगा। क्योंकि वह उसको इसको स्टोर नहीं कर सकेगा।
गौरतलब है कि भारत में महाराष्ट्र प्याज का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। इसके बाद दूसरे नंबर पर कर्नाटक आता है। पाटिल ने कहा कि सरकार ने अभी तक प्याज ढुलाई को लेकर दिए जाने वाली ट्रेन की रियायत के बाबत कोई खुलासा नहीं किया है। बीएस जाधव के मुताबिक पिछले दिनों में यूं भी मौसम की मार और अन्य कारणों के चलते प्याज के उत्पादकों किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसे में सरकार किस तरह से प्याज की सप्लाई जारी रख सकेगी। उन्होंने साफ किया है कि यदि सरकार इस पर कोई एक्शन नहीं लेती है तो फिर किसानों को प्याज का उत्पादन करने से मुंह मोड़ना पड़ेगा।
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