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भारतीय कंपनी की सात सौ दवाएं यूरोप में प्रतिबंधित

यूरोपीय संघ (ईयू) ने भारतीय दवा निर्माता कंपनी जीवीके बायोसाइंसेज की तकरीबन सात सौ जेनरिक दवाइयों को प्रतिबंधित कर दिया है। क्लीनिकल ट्रायल के आंकड़ों में खामियां पाए जाने के बाद यह कार्रवाई की गई है। हालांकि, जीवीके ने आरोपों को सिरे से खारिज किया है। जर्मनी की दवा नियामक संस्था

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Sat, 25 Jul 2015 08:18 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jul 2015 10:02 PM (IST)
भारतीय कंपनी की सात सौ दवाएं यूरोप में प्रतिबंधित

बर्लिन। यूरोपीय संघ (ईयू) ने भारतीय दवा निर्माता कंपनी जीवीके बायोसाइंसेज की तकरीबन सात सौ जेनरिक दवाइयों को प्रतिबंधित कर दिया है। क्लीनिकल ट्रायल के आंकड़ों में खामियां पाए जाने के बाद यह कार्रवाई की गई है। हालांकि, जीवीके ने आरोपों को सिरे से खारिज किया है।

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जर्मनी की दवा नियामक संस्था फेडरल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिसंस एंड मेडिकल प्रोडक्ट्स के मुताबिक ईयू के सभी 28 सदस्य देशों में इन दवाओं पर 21 अगस्त से प्रतिबंध लागू हो जाएंगे। ऐसे में निर्धारित तिथि के बाद ईयू में इनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। इसके अलावा दवा कंपनियां, थोक विक्रेता और खुदरा दुकानदार इसे बेच भी नहीं पाएंगे। बॉन स्थित नियामक संस्था ने बताया कि जीवीके इस फैसले के खिलाफ अपील कर सकती है, लेकिन उसका कोई त्वरित प्रभाव नहीं होगा।

यूरोपीय संघ की दवा नियामक संस्था यूरोपियन मेडिसंस एजेंसी (ईएमए) द्वारा जनवरी में इन दवाओं पर रोक लगाने की सिफारिश के बाद यह कार्रवाई की गई है। ईएमए के मुताबिक हैदराबाद स्थित जीवीके कंपनी ने इन दवाइयों के क्लीनिकल ट्रायल के फर्जी आंकड़े दिए हैं। फ्रांसीसी मेडिसंस एजेंसी ने पिछले साल मई में दवा निर्माता कंपनी के हैदराबाद स्थित प्रयोगशाला की जांच की थी, जिसमें क्लीनिकल ट्रायल के आंकड़ों में फर्जीवाड़े की बात सामने आई थी। नियामक एजेंसी ने ईसीजी के आंकड़ों में हेरफेर पाया था।

ईएमए के मुताबिक इनकी सुनियोजित प्रकृति, अध्ययन के लिए लिया गया लंबा वक्त और इसमें शामिल कर्मचारियों की संख्या आदि से क्लीनिकल ट्रायल की सत्यता पर संदेह हुआ था। जीवीके बायोसाइंसेज ने यूरोपीय दवा नियामक एजेंसियों के आरोपों को सिरे से खारिज किया है। कंपनी ने एजेंसी से दोबारा जांच करने की मांग की है। दूसरी तरफ, जर्मनी की दवा एजेंसी ने यह नहीं बताया कि प्रतिबंधित दवाओं का सेवन करने से लोगों पर विपरीत प्रभाव तो नहीं पड़ेगा।

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