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अंशधारक तय करेंगे कहां लगेगा ईपीएफ का पैसा

एक-दो साल में अंशधारक तय करेंगे कि बेहतर रिटर्न के लिए उनके ईपीएफ का पैसा कहां लगाया जाए। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की अंशधारकों को विभिन्न निवेश उत्पादों में से चयन का विकल्प देने की योजना है। उनसे पूछा जाएगा कि वे अपना पैसा किस निवेश उत्पाद में लगाना

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Fri, 31 Jul 2015 09:51 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2015 09:58 PM (IST)

नई दिल्ली। एक-दो साल में अंशधारक तय करेंगे कि बेहतर रिटर्न के लिए उनके ईपीएफ का पैसा कहां लगाया जाए। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की अंशधारकों को विभिन्न निवेश उत्पादों में से चयन का विकल्प देने की योजना है। उनसे पूछा जाएगा कि वे अपना पैसा किस निवेश उत्पाद में लगाना चाहते हैं। अंत में अधिक जोर शेयर बाजार पर हो सकता है। अभी ईपीएफओ अंशधारकों से प्राप्त बढ़ी हुई जमा राशि का निवेश श्रम मंत्रालय की ओर से अधिसूचित विशेष निवेश पैटर्न पर करता है।

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ईपीएफओ के केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त केके जालान ने यहां बताया कि संगठन अंतत: निवेश उत्पादों के तीन-चार मॉडलों के साथ आएगा। इसमें एक बड़ा हिस्सा शेयर का होगा। एक या दो साल में वह चरण आ जाएगा जब अंशधारकों से पूछा जाएगा कि वे किसमें निवेश करना चाहते हैं। एसोचैम के सम्मेलन में पहुंचे जालान बोले कि आगे चलकर लोग विकल्प चाहेंगे क्योंकि वे वित्तीय रूप से जागरूक हो रहे हैं। इसके लिए तैयार रहना है। ईपीएफओ केशेयरों में निवेश का श्रेय वित्त मंत्रालय को देते हुए जालान ने कहा कि शेयरों में निवेश का फैसला उसी का है। वित्त मंत्रालय ने इस फैसले के लिए दबाव बनाया। मार्च में उसने सर्कुलर जारी करते हुए कहा कि प्रॉविडेंट फंडों को इक्विटी में अपने फंड निवेश करने चाहिए। इसके बाद ईपीएफओ के पास कोई विकल्प ही नहीं बचा। लिहाजा, जहां तक इक्विटी में निवेश का सवाल है तो इस मामले में कोई और श्रेय नहीं ले सकता है।

छह अगस्त से बाजार में दस्तक

ईपीएफओ शेयर बाजार में निवेश की शुरुआत छह अगस्त से करेगा। चालू वित्त वर्ष के दौरान संगठन 5,000 करोड़ रुपये की शुरुआती पूंजी के साथ ईटीएफ में निवेश करेगा। जालान ने बताया कि श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय इससे जुड़े समारोह की अध्यक्षता करेंगे।

श्रम मंत्रालय ने अप्रैल में ईपीएफओ के लिए नए निवेश पैटर्न की अधिसूचना जारी की थी। संगठन को इक्विटी और इससे जुड़ी स्कीमों में अपने कोष के न्यूनतम पांच फीसद और अधिकतम 15 फीसद हिस्से के निवेश की अनुमति दी गई है।

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