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कहीं अच्छे दिनों पर ग्रहण न लगा दे महंगा क्रूड

लगभग 14 महीने की सुस्ती के बाद कच्चे तेल (क्रूड) का अंतरराष्ट्रीय बाजार नई सरगर्मियों से लबरेज है। पिछले आठ-नौ दिनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 11 फीसद बढ़ चुकी है। इससे इस हफ्ते के अंत तक पेट्रोल और डीजल की कीमतों में एक और बढ़ोतरी सुनिश्चित

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Sun, 10 May 2015 08:11 PM (IST)Updated: Sun, 10 May 2015 09:25 PM (IST)
कहीं अच्छे दिनों पर ग्रहण न लगा दे महंगा क्रूड

नई दिल्ली । लगभग 14 महीने की सुस्ती के बाद कच्चे तेल (क्रूड) का अंतरराष्ट्रीय बाजार नई सरगर्मियों से लबरेज है। पिछले आठ-नौ दिनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 11 फीसद बढ़ चुकी है। इससे इस हफ्ते के अंत तक पेट्रोल और डीजल की कीमतों में एक और बढ़ोतरी सुनिश्चित है। अगर क्रूड की कीमतों पर ब्रेक नहीं लगा तो यह अर्थव्यवस्था में जल्द से जल्द अच्छे दिन लाने के सरकार के मंसूबों पर भी पानी फेर सकता है।

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और महंगा पेट्रोल-डीजल

अगर केंद्र सरकार की तरफ से दिए गए आंकड़ों पर भरोसा करें तो भारत जिन बाजारों से कच्चा तेल खरीदता है वहां क्रूड की कीमत 22 अप्रैल, 2015 को 59.66 डॉलर प्रति बैरल थी, जो 6 मई, 2015 को 66.54 डॉलर प्रति बैरल हो चुकी है। पिछले महीने के अंत में जब तेल कंपनियों ने पेट्रोल और डीजल महंगा किया था, उसके बाद से क्रूड लगभग तीन डॉलर महंगा हो चुका है। एक डॉलर महंगा क्रूड पेट्रोल की खुदरा कीमत में 50 पैसे और डीजल में लगभग 40 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि की वजह बनता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका और यूरोपीय संघ की अर्थव्यवस्था में बेहतरी होने से क्रूड की मांग बढ़ेगी और इसकी कीमत और बढ़ सकती है। उद्योग चैंबर एसोचैम की तरफ से इस बारे में जारी एक प्रपत्र के मुताबिक महंगा होता क्रूड भारत सरकार के आर्थिक प्रबंधन की राह में सबसे बड़ी बाधा उत्पन्न कर सकता है। इस बीच रुपया भी लगातार कमजोर हो रहा है जिससे सरकार की आर्थिक प्रबंधन की चुनौती और बढ़ सकती है।

खराब मानसून व महंगा क्रूड

एसोचैम का कहना है कि पहले से ही मानसून के सामान्य नहीं रहने की बात हो रही है और अब क्रूड भी तेवर दिखा रहा है। इन दोनों का संयोग काफी चुनौतीपूर्ण होता है। दरअसल, पहले भी इन दोनो वजहों से महंगाई बढ़ती रही है। अगर इस बार भी यह हुआ तो इससे ब्याज दरों में कटौती के आसार पर आशंका के बादल छा सकते हैं। साथ ही पहले से ही खराब औद्योगिक उत्पादन की स्थिति और बिगड़ सकती है।

भारत अपनी जरूरत का लगभग 78 फीसद कच्चा तेल आयात करता है। पिछले एक वर्ष में सस्ते क्रूड की वजह से न सिर्फ सरकार को महंगाई कम करने में मदद मिली है बल्कि पेट्रोल और डीजल की कीमत में काफी कमी हुई है जिससे आम आदमी को राहत मिली है। लेकिन अब यह सिलसिला टूटता नजर आ रहा है।

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