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विदेश व्यापार नीति के जरिये होगी 'कम मेक इंडिया' की शुरुआत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'कम मेक इन इंडिया' के नारे को अमलीजामा पहनाने की शुरुआत सरकार की पहली विदेश व्यापार नीति के एलान के साथ हो जाएगी। मोदी सरकार मैन्यूफैक्चरिंग खासतौर पर निर्यातोन्मुख उत्पादक इकाइयों को प्रोत्साहन देने के लिए इस नीति में कुछ घोषणाएं कर सकती है। सरकार इस महीने के अंत अथवा

By Edited By: Published: Sun, 17 Aug 2014 09:16 PM (IST)Updated: Sun, 17 Aug 2014 10:51 AM (IST)
विदेश व्यापार नीति के जरिये होगी 'कम मेक इंडिया' की शुरुआत

नई दिल्ली [नितिन प्रधान]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'कम मेक इन इंडिया' के नारे को अमलीजामा पहनाने की शुरुआत सरकार की पहली विदेश व्यापार नीति के एलान के साथ हो जाएगी। मोदी सरकार मैन्यूफैक्चरिंग खासतौर पर निर्यातोन्मुख उत्पादक इकाइयों को प्रोत्साहन देने के लिए इस नीति में कुछ घोषणाएं कर सकती है। सरकार इस महीने के अंत अथवा अगले महीने की शुरुआत में विदेश व्यापार नीति का एलान करेगी।

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प्रधानमंत्री मोदी की विकास की सोच में मैन्यूफैक्चरिंग की बड़ी भूमिका है। अपनी इस सोच को वह चुनाव के दौरान और प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद कई बार उजागर कर चुके हैं। इसी सोच को आधार बना वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय मोदी सरकार की पहली विदेश व्यापार नीति को अंजाम देने में जुटा है। मंत्रलय भी मानता है कि बिना मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को मजबूत किए निर्यात में तेज वृद्धि करना मुश्किल होगा।

पहले की नीति से इस बार विदेश व्यापार नीति कुछ अलग होगी। वाणिज्य व उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण के मुताबिक प्रोत्साहन स्कीमों से ज्यादा नीति का फोकस इस बात पर होगा कि कैसे कारोबार का विस्तार किया जाए। काफी बड़ी संख्या में कुशल कारीगर रोजगार की तलाश में हैं। उनके लिए रोजगार मुहैया कराना सरकार की प्राथमिकता है। इस दिशा में सरकार का पूरा जोर मैन्यूफैक्चरिंग पर होगा। सरकार की यह नीति विदेशी कंपनियों को भारत बुलाकर यहां मैन्यूफैक्चरिंग में योगदान देने को प्रोत्साहित करेगी।

भारतीय कंपनियों को विदेश में जाकर काम करने के लिए भी इसमें प्रोत्साहनों का एलान हो सकता है। लेकिन मुख्य जोर भारत में मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाने पर होगा। सरकार इस दिशा में हार्डवेयर सेक्टर पर भी खास ध्यान दे रही है। वाणिज्य व उद्योग मंत्रलय के सूत्र बताते हैं कि आइटी में सॉफ्टवेयर के साथ हार्डवेयर मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए पहला हब आंध्र प्रदेश के काकीनाडा में लगाया जाएगा। सरकार ने इस पर काम भी शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री के 'कम मेक इन इंडिया' के नारे के लिए मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय ने कई सेक्टरों की पहचान की है। इनमें विदेशी कंपनियों को भागीदार बनाया जा सकता है। सूत्र बताते हैं कि ऑटो, बायोटेक्नोलॉजी, फार्मा आदि ऐसे क्षेत्र हैं जिनके लिए सरकार भारत में हब स्थापित करने की योजना बना रही है। इन क्षेत्रों में इकाई लगाने पर विदेश व्यापार नीति में प्रोत्साहन देने की शुरुआत की जा सकती है।

साथ ही विशेष इकोनॉमिक जोन [एसईजेड] नीति में भी फेरबदल की घोषणा सरकार इस नीति के तहत कर सकती है। इसमें एसईजेड में निर्यात इकाइयों के लिए आवश्यक सहायक इकाइयां लगाने की भी इजाजत मिल सकती है। साथ ही कुछ सेवाओं जैसे कूरियर आदि कंपनियों को भी यहां प्रवेश मिल सकता है। अभी तक इनके लिए एसईजेड के दरवाजे बंद रहे हैं।

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