आर्थिक सुधारों पर राज्यों को रिझाने में जुटा केंद्र
विपक्षी अवरोध के बावजूद अध्यादेश के जरिये आर्थिक सुधारों की गति बढ़ाने का दम दिखाने के बाद केंद्र सरकार अब राज्यों को मनाने की कोशिश करेगी। राजग सरकार को अहसास हो गया है कि दूसरे दौर के आर्थिक सुधारों को राज्यों के सहयोग के बिना लागू करना मुश्किल है। वस्तु
नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। विपक्षी अवरोध के बावजूद अध्यादेश के जरिये आर्थिक सुधारों की गति बढ़ाने का दम दिखाने के बाद केंद्र सरकार अब राज्यों को मनाने की कोशिश करेगी। राजग सरकार को अहसास हो गया है कि दूसरे दौर के आर्थिक सुधारों को राज्यों के सहयोग के बिना लागू करना मुश्किल है। वस्तु व सेवा कर [जीएसटी] लागू करने से लेकर मेक इन इंडिया कार्यक्रम की सफलता तक के लिए मोदी सरकार को न सिर्फ भाजपा बल्कि कांग्रेस व अन्य पार्टियों की सरकार वाले राज्यों की मदद चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले हफ्ते जब राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ मिलेंगे तो उनके सहयोग से अर्थव्यवस्था को नई गति देने का पूरा रोडमैप पेश करेंगे। यह महीने भर में राज्यों के साथ प्रधानमंत्री की दूसरी बैठक होगी। मोदी सरकार की तरफ से अर्थव्यवस्था पर तैयार पहले रिपोर्ट कार्ड में सुधार कार्यक्रम में राज्यों की बढ़ती अहमियत को स्वीकार किया गया है। इसमें कहा गया है कि राज्यों को तमाम आर्थिक सुधार लागू करने के लिए केंद्र चार तरह से सहयोग मुहैया कराएगा। इसमें राज्यों को यह आश्वासन दिया गया है कि सुधार लागू होने से उन्हें भी वित्तीय हानि होगी उसकी भरपायी केंद्र करने को तैयार है। साथ ही सुधार लागू करने वाले राज्यों को अलग से प्रोत्साहन भी मिलेगा। तीसरा सहयोग केंद्र राज्यों को कानूनी मदद देकर करेगा। राजस्थान को श्रम सुधार के मामले में ऐसा किया भी गया, क्योंकि राज्य सरकार के कदम को राष्ट्रपति ने बगैर देरी की स्वीकृति दी थी। इसके अलावा केंद्र सरकार राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगा।
सूत्रों के मुताबिक 29 दिसंबर को राज्यों के साथ बैठक में पीएम मोदी की तरफ से अगले दौर के सुधारों को लेकर राज्यों की भूमिका पर विस्तृत प्रकाश डाला जाएगा। इसमें बताया जाएगा कि केंद्र सरकार औद्योगिक नीति, शुल्क नीति, विनिमय दर, पूंजी प्रवाह जैसे मुद्दों को लेकर अधिकांश काम कर चुकी है। अब सुधारों का नया दौर पूरी तरह से राज्यों की सक्रियता पर निर्भर करेगा। मसलन, जीएसटी विधेयक को अगले सत्र में दोनों सदनों से मंजूरी तो मिल जाएगी, लेकिन उसके बाद कम से देश के आधे राज्यों की विधान सभाओं का अनुमोदन भी इसे चाहिए। इसी तरह से श्रम सुधार को लेकर केंद्र के स्तर पर जो कदम अभी तक उठाए गए हैं, राज्यों को उसके आधार पर अपने कानून बदलने होंगे।
जहां चाहिए सूबों की सहायता
1. जीएसटी लागू करने के लिए आधे राज्यों की सहमति की दरकार
2. श्रम सुधार के लिए राज्यों के कानून में भी संशोधन की जरूरत
3. मेक इन इंडिया की सफलता के लिए राज्यों का पूर्ण सहयोग जरूरी
4. सूबों के सहयोग बिना नहीं हो सकेगा भूमि अधिग्रहण कानून लागू
5. स्थानीय निकायों को ज्यादा स्वायत्त बनाने में राज्य अहम
राज्यों की मदद को बढ़े हाथ
1. जीएसटी में पेट्रोलियम उत्पादों को नहीं जोड़ा गया
2. जीएसटी लागू होने से राज्यों के राजस्व हानि की भरपायी
3. कोयला ब्लॉकों की नीलामी का सारा पैसा राज्यों को मिलेगा
4. विकास योजना कार्यक्रम बनाने के लिए मिली ज्यादा स्वायत्तता
5. नीति निर्माण के काम में किया मुख्यमंत्रियों को शामिल
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