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सुधारों की दिशा में बड़ा कदम, जीएसटी विधेयक संसद में पेश

आजादी के बाद सबसे बड़े टैक्स सुधार की दिशा में कदम बढ़ाते हुए सरकार ने देश में वस्तु एवं सेवा कर [जीएसटी] लागू करने के लिए शुक्रवार को लोकसभा में संविधान विधेयक-2014 पेश किया। इस 122वें संविधान संशोधन विधेयक पर संसद और आधे राज्यों के विधानमंडलों की मुहर लगने पर

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Fri, 19 Dec 2014 04:28 PM (IST)Updated: Fri, 19 Dec 2014 11:45 PM (IST)
सुधारों की दिशा में बड़ा कदम, जीएसटी विधेयक संसद में पेश

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। आजादी के बाद सबसे बड़े टैक्स सुधार की दिशा में कदम बढ़ाते हुए सरकार ने देश में वस्तु एवं सेवा कर [जीएसटी] लागू करने के लिए शुक्रवार को लोकसभा में संविधान विधेयक-2014 पेश किया। इस 122वें संविधान संशोधन विधेयक पर संसद और आधे राज्यों के विधानमंडलों की मुहर लगने पर एक अप्रैल, 2016 से जीएसटी लागू होने का रास्ता साफ हो जाएगा।

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देश भर में वस्तुओं और सेवाओं के लिए एकल कर प्रणाली बनाने के मकसद से लाए गए इस विधेयक के अंतर्गत शराब को छोड़ अन्य सभी वस्तुओं व सेवाओं पर जीएसटी लागू होगा। पेट्रोलियम उत्पादों पर भी जीएसटी लगेगा। फिलहाल पेट्रोलियम उत्पादों पर जीएसटी किस तिथि से लागू हो, इसका फैसला केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद करेगी। जीएसटी लागू होने पर राज्यों को होने वाले राजस्व हानि की भरपायी पहले पांच साल तक केंद्र सरकार करेगी। इसके अलावा अंतरराज्यीय वस्तु एवं सेवा आपूर्ति पर एक फीसद अतिरिक्त कर लगाया जाएगा। इससे प्राप्त धनराशि को राज्यों में बांटा जाएगा।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विपक्ष के रस्मी विरोध के बीच यह विधेयक लोकसभा में पेश करते हुए कहा कि जीएसटी लागू होने पर राज्यों को एक रुपये का भी नुकसान नहीं होगा। जीएसटी लागू होने पर केंद्र के केंद्रीय उत्पाद शुल्क, अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, सेवा कर, अतिरिक्त सीमा शुल्क (काउंटरवेलिंग ड्यूटी) तथा वस्तुओं व सेवाओं पर लगने वाले सरचार्ज और सेस खत्म हो जाएंगे।

इसी तरह राज्यों के टैक्स-जैसे वैट या बिक्री कर, मनोरंजन कर, केंद्रीय बिक्री कर, चुंगी और प्रवेश कर, खरीद कर, लक्जरी कर, लॉटरी, सट्टे व जुए पर कर तथा सेवाओं और वस्तुओं पर लगने वाले सेस व सरचार्ज भी खत्म हो जाएंगे। संविधान के तहत 'विशेष महत्व की घोषित वस्तुओं' की सूची भी खत्म हो जाएगी।

तीन प्रकार से लगेगा जीएसटी

पहला-केंद्रीय जीएसटी जिसे केंद्र सरकार लगाएगी और वसूलेगी। दूसरा-राज्य जीएसटी जिसे लगाने और वसूलने का अधिकार राज्यों का होगा। तीसरा- एकीकृत जीएसटी (आइजीएसटी) जो एक राज्य से दूसरे राज्य के बीच वस्तुओं और सेवाओं के लेनदेन पर लगेगा। इसे लगाने और वसूलने का अधिकार केंद्र के पास होगा। आइजीएसटी से प्राप्त होने वाली धनराशि को राज्यों में बांटा जाएगा।

राज्यों को नहीं होगा नुकसान

जीएसटी लागू होने पर राज्यों को कोई नुकसान न हो इसके लिए दो उपाय किए गए हैं। पहला उपाय यह है कि राज्यों को पांच साल तक राजस्व क्षतिपूर्ति का भुगतान किया जाएगा, जिसका प्रावधान संविधान संशोधन विधेयक में किया गया है। यह क्षतिपूर्ति पहले तीन वर्ष तक शत प्रतिशत तथा चौथे वर्ष में 75 प्रतिशत और पांचवें वर्ष में 50 प्रतिशत की जाएगी। दूसरा उपाय यह है कि एक राज्य से दूसरे राज्य में वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर दो साल के लिए एक प्रतिशत की दर से अतिरिक्त कर लगाया जाएगा। यह कर केंद्र सरकार वसूलेगी और इसे उस राज्य को सौंपा जाएगा जहां से वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति की गई है।

इस एक प्रतिशत अतिरिक्त कर से प्राप्त होने वाली धनराशि को भारत की संचित निधि में जमा नहीं कराया जाएगा। फिलहाल यह अतिरिक्त कर दो वर्ष के लिए लगाया जाएगा लेकिन जीएसटी परिषद चाहे तो इस अवधि को बढ़ाने की सिफारिश भी कर सकती है।

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