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कॉल ड्राप, स्पेक्ट्रम बिक्री सरकार के सामने बड़ी चुनौती

केंद्र सरकार के सामने कॉल ड्राप और स्पेक्ट्रम बिक्री की बड़ी चुनौती है। कॉल ड्राप के मसले पर सुप्रीम कोर्ट फटकार भी लगा चुका है।

By Lalit RaiEdited By: Published: Fri, 08 Jul 2016 01:27 AM (IST)Updated: Fri, 08 Jul 2016 03:21 AM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। काल ड्राप को लेकर लगातार सवालों के घेरे में रहे रविशंकर प्रसाद की संचार मंत्रालय से विदाई के बाद अब नए संचार मंत्री मनोज सिन्हा के सामने इस समस्या का समाधान और स्पेक्ट्रम की नीलामी में सरकार के लक्ष्यों को पाने की चुनौती सबसे बड़ी रहेगी। काल ड्राप मामले में सुप्रीम कोर्ट में सरकार की हार के बाद कंपनियों पर संचार मंत्रालय को नए सिरे से दबाव बनाना होगा।

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बीते दो साल से काल ड्राप का मुद्दा काफी गंभीर बना हुआ है। संचार मंत्रालय की तमाम कोशिशों के बावजूद इसकी स्थिति में बहुत अधिक सुधार नहीं हुआ है। यहां तक कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मामले में सख्त कदम उठाए जाने की सलाह दी थी। इसके बावजूद जानकारों का कहना है कि प्रसाद के कार्यकाल में मंत्रालय कंपनियों पर कोई निर्णायक कार्रवाई नहीं कर पाया। खुद टेलीकाम रेगुलेटर टीआरएआइ ने टेलीकाम कंपनियों पर काल ड्राप के एवज में पेनल्टी लगाने का प्रस्ताव भी दिया। लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट में गया और टेलीकाम कंपनियों की जीत हुई। जानकार मानते हैं कि इस मामले में खुद संचार मंत्रालय का रुख ढीला रहा और वह टीआरएआइ के साथ मजबूती से खड़ा नहीं दिखा। लिहाजा अब नए संचार मंत्री के लिए मोबाइल कंपनियों पर लगाम लगाना काफी चुनौती भरा होगा।

कॉल ड्राप के समस्या से उपभोक्ता हो रहे परेशान

दूसरी बड़ी चुनौती संचार मंत्री के समक्ष स्पेक्ट्रम नीलामी में कंपनियों की भागीदारी बढ़ाने की होगी। सरकार को अगले दो तीन महीने में स्पेक्ट्रम की नीलामी करनी है। स्पेक्ट्रम की पिछली नीलामी का अनुभव सरकार का बहुत अधिक संतोषजनक नहीं रहा है। प्रसाद के कार्यकाल में पांच मेगावाट स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए प्रस्तुत किया गया था। लेकिन मंत्रालय इसे पूरा बेच पाने में विफल रहा था। इस नीलामी में मोबाइल क्षेत्र की कई कंपनियों ने हिस्सेदारी नहीं की। इस बार भी मोबाइल कंपनियां स्पेक्ट्रम नीलामी में शामिल होने से आनाकानी कर रही हैं। जबकि काल ड्राप की समस्या को दूर करने में अतिरिक्त स्पेक्ट्रम मोबाइल कंपनियों के लिए बेहद जरूरी है।

सरकार के लिए स्पेक्ट्रम की नीलामी संसाधन जुटाने का बड़ा स्त्रोत है और सुस्त अर्थव्यवस्था के इस दौर में काफी महत्वपूर्ण है। सरकार करीब 83 अरब डालर की कीमत का स्पेक्ट्रम बेचना चाहती है। लेकिन जो संकेत मिल रहे हैं उनमें 12 से 15 अरब डालर से अधिक की निविदाएं मिलने की उम्मीद नहीं है। ऐसे में सिन्हा को अपने पूर्ववर्ती के मुकाबले कंपनियों के साथ ज्यादा सख्त रुख अपनाने को तैयार रहना होगा।काल ड्राप के मामले में मोबाइल कंपनियों की तरफ से टावर लगाने में आ रही अड़चन बड़ी परेशानी बताई गई। संचार मंत्रालय ने इस मामले में राज्य सरकारों से नियमों को सरल बनाने का आग्रह भी किया। लेकिन तमाम सुझावों के बावजूद सरकारी इमारतों को मोबाइल टावरों के लिए उपलब्ध कराने में मंत्रालय को काफी समय लग गया।


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