Move to Jagran APP

कड़वी दवा के लिए रहिए तैयार, जेटली आज पेश करेंगे आम बजट

बार-बार आम जनता को कड़वी दवा के लिए तैयार रहने की नसीहत दे रही मोदी सरकार अब सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने की दिशा में आगे बढ़ सकती है। वित्त मंत्री अरुण जेटली की तरफ से बुधवार को संसद में पेश आर्थिक समीक्षा 2013-14 में सब्सिडी वितरण में तमाम सुराखों को रोकना सरकार का एक प्रमुख एजेंडा बताया गया है। योजना

By Edited By: Published: Wed, 09 Jul 2014 09:00 PM (IST)Updated: Thu, 10 Jul 2014 07:53 AM (IST)
कड़वी दवा के लिए रहिए तैयार, जेटली आज पेश करेंगे आम बजट

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। बार-बार आम जनता को कड़वी दवा के लिए तैयार रहने की नसीहत दे रही मोदी सरकार अब सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने की दिशा में आगे बढ़ सकती है। वित्त मंत्री अरुण जेटली की तरफ से बुधवार को संसद में पेश आर्थिक समीक्षा 2013-14 में सब्सिडी वितरण में तमाम सुराखों को रोकना सरकार का एक प्रमुख एजेंडा बताया गया है। योजना आयोग से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की तमाम रिपोर्टो को आधार बनाते हुए आने वाले दिनों में पेट्रोलियम, उर्वरक व खाद्य सब्सिडी पर कैंची चलाने की जमीन तैयार की गई है।

loksabha election banner

समीक्षा में संकेत हैं कि सरकार सीधे जनता के हाथों में सब्सिडी देने की योजना को मजबूती से लागू करेगी। इस उद्देश्य से पूर्व संप्रग सरकार ने आधार पर आधारित स्कीम (डीबीटी) लागू की थी, लेकिन उसे बंद कर दिया गया। आर्थिक समीक्षा में इस स्कीम की जमकर तारीफ की गई है। पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस स्कीम को लागू करने पर एक अहम बैठक भी की थी। समीक्षा में मुद्राकोष की रिपोर्ट के हवाले से बताया गया है कि देश के 10 फीसद अमीर परिवार दस प्रतिशत सबसे गरीब परिवारों के मुकाबले सात गुना ज्यादा ईधन सब्सिडी का उपभोग करते हैं। इसी तरह से योजना आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, आम जनता को एक किलो अनाज देने के लिए सरकार के भंडार से 2.4 किलो अनाज निकालना पड़ता है। लिहाजा लक्षित समूह को चिन्हित कर उनके हाथ में नकद सब्सिडी देना पूरी तरह से संभव है।

समीक्षा में सब्सिडी देने के मौजूदा तरीके पर सवाल उठाया गया है। कहा गया है कि जब सरकार ने डीजल सब्सिडी में कटौती की तो डीजल की खपत कम होने लगी। इसी तरह से जब किसी अनाज पर सब्सिडी बढ़ाई जाती है तो उसका उत्पादन बढ़ जाता है, जबकि जरूरत अन्य अनाजों के उत्पादन को बढ़ाने की होती है। उवर्रक सब्सिडी को लेकर भी सरकार की यही मंशा दिखती है। साफ है कि आर्थिक समीक्षा के संकेतक के बावजूद सरकार को खाद्य, उर्वरक, पेट्रोलियम सब्सिडी को घटाने के लिए काफी बड़ी दिल दिखाना होगा।

आंकड़ों में सब्सिडी

क्षेत्र वर्ष

2012-13, 2013-14

खाद्य--85,000--92,000

उंर्वरक-65,613--67,971

पेट्रोलियम-96,880--85,480

अन्य--2,47,493--2,45,451

(सभी आंकड़े करोड़ में)

पढ़ें : तेज विकास के लिए नीतिगत बदलावों पर होगा सरकार का जोर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.