अब और महंगा हुआ इंटरनेट
मोबाइल इंटरनेट को सस्ता करने के तमाम दावों के उलट टेलीकॉम कंपनियां इसकी कीमतों में लगातार इजाफा कर रही हैं। मंगलवार को देश की दिग्गज टेलीकॉम कंपनियों- एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया ने इंटरनेट के टैरिफ प्लान महंगे कर दिए। 2जी इंटरनेट टैरिफ में एक साल के अंदर दूसरी बार इन कंपनियों ने इजाफा किय
नई दिल्ली। मोबाइल इंटरनेट को सस्ता करने के तमाम दावों के उलट टेलीकॉम कंपनियां इसकी कीमतों में लगातार इजाफा कर रही हैं। मंगलवार को देश की दिग्गज टेलीकॉम कंपनियों- एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया ने इंटरनेट के टैरिफ प्लान महंगे कर दिए। 2जी इंटरनेट टैरिफ में एक साल के अंदर दूसरी बार इन कंपनियों ने इजाफा किया है। भारतीय मोबाइल फोन सेवा के बाजार में इन तीनों कंपनियों की हिस्सेदारी 53 फीसद है।
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इंटरनेट इस्तेमाल को सीधे महंगा करने के बजाय उन्होंने पीछे का रास्ता चुना है। तीनों कंपनियों ने 2जी नेटवर्क के कुछ प्लान पर डाउनलोड की मात्रा सीमित कर दी है। अब उपभोक्ताओं को अपने मोबाइल पर एक जीबी डाटा डाउनलोड करने के लिए पहले के मुकाबले 25 फीसद ज्यादा भुगतान करना होगा।
इन कंपनियों की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, अब तक 125 रुपये में एक जीबी डाउनलोड होता था। इसे घटाकर 525 एमबी कर दिया गया है।
दिल्ली के एयरटेल उपभोक्ताओं को एक जीबी इंटरनेट इस्तेमाल करने के लिए अब 156 रुपये चुकाने होंगे। आइडिया 154 रुपये में 28 दिन और और वोडाफोन 155 रुपये में 30 दिन का ऑफर दे रही है। मुंबई में एयरटेल और आइडिया का एक जीबी पैक 154 रुपये और वोडाफोन का 155 रुपये में उपलब्ध होगा। दिल्ली में एयरटेल ने 98 रुपये वाले पैक की वैधता अवधि 28 दिन से घटाकर 14 दिन कर दी है। इससे यह प्लान लगभग दोगुना महंगा हो गया है।
टेलीकॉम कंपनियों ने यह नहीं बताया कि ये दाम कब बढ़ाए गए। उन्हें इस संबंध में दूरसंचार नियामक ट्राई को जानकारी देनी होती है।
अधिग्रहण और विलय के दिशानिर्देश एक नवंबर को
टेलीकॉम कंपनियों के विलय और अधिग्रहण के दिशानिर्देश अब एक नवंबर को जारी होंगे। पहले ये दिशानिर्देश 15 अक्टूबर को जारी किए जाने थे। संचार मंत्री कपिल सिब्बल ने यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि नए दिशानिर्देश जारी होने में अभी दो हफ्तों का समय और लगेगा।
एसोचैम के इंडिया नॉलेज सम्मेलन में सिब्बल ने बताया कि दूरसंचार विभाग ने 15 अक्टूबर के लिए तैयारी की थी, मगर इसमें थोड़ी अड़चन आ गई। दिशानिर्देशों के बाद विलय या अधिग्रहण से पहले कंपनियों को यूनीफाइड लाइसेंस लेना होगा। नए लाइसेंस के तहत ऑपरेटर प्रतिस्पर्धी कंपनी में हिस्सेदारी नहीं रख सकते। दिशानिर्देशों को कैबिनेट की तरफ से सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है।