कर्ज तो अब भी अदा नहीं कर पाए, लेकिन बेटियों ने मेडलों की झड़ी लगा दी
सुधन को इसलिए सलाम कि रिश्तेदारों के तानों को बर्दाश्त कर एक नहीं, तीन बेटियों को खिलाड़ी बना दिया। पूरा बिहार उन पर आज गर्व करता है।
राजेश पटेल, सिवान। मैरवा में ओवरब्रिज के नीचे पंक्चर बनाने वाले सुधन अंसारी ने लोगों के ताने सुनने के बावजूद पेट काटकर बेटियों को उत्कृष्ट खिलाड़ी बनाने का जो बीड़ा उठाया, उसकी वाहवाही आज सबके कानों में गूंजती है। खेल में बेटियों को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मुकाम तक पहुंचाने के लिए सुधन को अपना घर तक गिरवी रखना पड़ गया। कर्ज तो वो अब भी अदा नहीं कर पाए हैं, लेकिन बेटियों के मेडलों की झड़ी देखते ही उनका सारा दर्द काफूर हो जाता है। उम्मीद है कि बेटियां खेलती रहीं तो कर्ज अदा कर लेंगे।
सुधन को इसलिए सलाम कि रिश्तेदारों के तानों को बर्दाश्त कर एक नहीं, तीन बेटियों को खिलाड़ी बना दिया। पूरा बिहार उन पर आज गर्व करता है। बेटी तारा खातून तो स्कूली विश्वकप फ्रांस में भी खेलकर आई है। अंडर 19 टीम बिहार की कप्तान रह चुकी है। दूसरी साबरा खातून बिहार अंडर 19 फुटबॉल टीम की सदस्य है। तीसरी बेटी सलमा खातून भी एथलीट है। राष्ट्रीय स्तर की अंडर 17 की प्रतियोगिताओं में बिहार का प्रतिनिधित्व करती है।
सुधन अंसारी कहते हैं कि अगर वह समाज में व्याप्त पर्दा प्रथा को मानते तो अपनी बेटियों को यह सफलता कभी नहीं दिला सकते थे। आर्थिक तंगी भी राह की बड़ी बाधा बनी, लेकिन सुधन ने स्कूल स्तर की प्रतियोगिताओं में बेटियों की प्रतिभा देखी तो खेल के क्षेत्र में उन्हें आगे बढ़ाने की ठान ली। दूसरी जगहों पर प्रतियोगिताओं में बेटियों को लेकर जाते थे। पूरे दिन दुकान बंद भी रखनी पड़ती थी। आज मेरी बेटियों की सफलता देखकर वे भी खुश होते हैं, जो पहले ताना मारते थे।
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