क्या आप जानते हैं... बहुत खतरनाक होती है सुरीली आवाज वाली कोयल?
कहते हैं कि किसी के चेहरे को देखकर उसके व्यवहार का आंकलन करना किसी भी व्यक्ति के साथ अन्याय है। लेकिन क्या पशु-पक्षी भी इसके अंतर्गत आते हैं।
क्या आप जानते हैं... बहुत खतरनाक होती है सुरीली आवाज वाली कोयल?
क्या बाहर से सुंदर दिखने वाले व्यक्ति का व्यवहार भी अच्छा होगा या फिर चेहरे से घमंडी दिखने वाला व्यक्ति का व्यवहार खराब होगा। जी नहीं ऐसा बिल्कुल भी नही है। किसी भी व्यक्ति को मापने का यह पैमाना कतई भी ठीक नही है।
कहते हैं कि किसी के चेहरे को देखकर उसके व्यवहार का आंकलन करना किसी भी व्यक्ति के साथ अन्याय है। लेकिन क्या पशु-पक्षी भी इसके अंतर्गत आते हैं। रोचक जानकारी के अनुसार क्या आप जानते हैं कि सुरीली आवाज वाली कोयल का व्यवहार कैसा होता है?
कोयल की आवाज को एक विशेषण के रूप में प्रयोग किया जाता है। अगर किसी महिला की आवाज बहुत सुरीली है तो उसकी तुलना कोकिला या कोयल से की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सुरीली आवाज वाली कोयल का व्यवहार कैसा होता है ये उसकी आवाज से मेल भी खाता है या नही?
कैंब्रिज विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का दावा है कि मीठी आवाज वाली कोयल का व्यवहार बेहद कटु और हिंसक होता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि कोयल के पंख बहुत अद्भुत होते हैं जिनकी सहायता से वह दूसरे पक्षियों के घोंसले पर कब्जा करने में कामयाब हो जाती है।
विश्वविद्यालय के प्रमुख वैज्ञानिकों द्वारा संपन्न इस अध्ययन के बाद यह प्रमाणित किया गया है कि कोयल प्रजाति ने खुद को इस प्रकार विकसित किया है कि वह स्पैरो हॉक की तरह दिखती है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि वह बड़ी आसानी के साथ दूसरे पक्षियों को डरा सकती है।
कोयल एक बेहद आलसी पक्षी है जो घोंसला बनाए बिना अपने अंडे दूसरे पक्षियों के घोंसले में देती है और फिर उन्हें वहीं छोड़ देती है। इसे कोयल की चालाकी कहें या फिर उसका रुक्ष व्यवहार वह अपने भयभीत कर देने वाले व्यवहार से अन्य पक्षियों को डराती है और संबंधित पक्षी जिसके घोंसले में कोयल अंडे देती है वह उसके अंडों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता।
उल्लेखनीय है कि कोयल और स्पैरो हॉक दोनों की पेट की सतह पर जो पंख होते हैं वह देखने में एक समान लगते हैं इसीलिए अन्य पक्षी उन्हें देखकर डर जाते हैं। लेकिन दोनों में क्या फर्क है इसका पता लगाने के लिए शोधकर्ताओं ने एक नकली कोयल और स्पैरो हॉक को एक चिडिय़ा के घोंसले के पास रख दिया। वैज्ञानिकों ने पाया कि चिडिय़ा उन दोनों में अंतर नहीं कर पाई और डर के कारण अपने ही घोंसले से चली गई।
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