बड़ी आसानी से लग जाएगा पता आपका बच्चा बड़ा होकर तुतलाएगा या नहीं
बोलने और शब्दों का उच्चारण न कर पाने की परेशानी से जूझ रहे बच्चों के लिए एमआईटी के शोधकर्ताओं ने एक नई कंप्यूटर प्रणाली विकसित की है
बच्चे जब एक या दो साल के होते हैं तो उनकी तोतली जुबान बहुत ही प्यारी लगती है। उनकी बातें इतनी मीठी लगती हैं कि दिल करता है सिर्फ सुनते ही रहें। उन्हें सुधारने का ख्याल तक किसी को नहीं आता है। यहां तक की मां-बाप और दूसरे रिश्तेदार भी बच्चे से उसी तरीके से बातें करना शुरू कर देते हैं। लेकिन एक समय के बाद ये आदत परेशानी का कारण बन जाती है। लेकिन हाल ही में कि गई एक रिसर्च से ऐसी स्थिति से बच्चों को बाहर निकालने का तरीका खोजा गया है।
जी हां बोलने और शब्दों का उच्चारण न कर पाने की परेशानी से जूझ रहे बच्चों के लिए एमआईटी के शोधकर्ताओं ने एक नई कंप्यूटर प्रणाली विकसित की है। यह प्रणाली नन्हें बच्चों में इन विकारों की जांच करेगी और विशेष निदान भी बताएगी। बोलने और भाषा संबंधी विकार से पीड़ित बच्चों पर शुरू में ही ध्यान दिया जाए तो बाद में उनकी परेशानी काफी हद तक कम हो सकती है।
एक अध्ययन के मुताबिक, अनुमानित तौर पर 60 प्रतिशत ऐसे बच्चों की समस्या को केजी या इसके बाद तक कोई समझ नहीं पाता है। अमेरिका में मैसाचुसेट्स इंस्ट्टीयूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) और मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल के (एमजीएच) इंस्ट्टीयूट ऑफ हेल्थ प्रोफेशन को उम्मीद है कि नई कंप्यूटर प्रणाली से इस स्थिति में बदलाव आएगा।
प्रणाली के तहत बच्चे की कहानी कहने की कला का परीक्षण लिया जाएगा जिसमें आवाज को विश्लेषण के लिए रिकॉर्ड किया जाएगा। इसमें चित्रों की एक श्रृंखला के साथ उन्हें एक कहानी सुनाई जाएगी और फिर बच्चों से कहानी को अपने शब्दों में कहने को कहा जाएगा। एमआईटी में प्रोफेसर जॉन गुट्टाग ने कहा कि यहां विचार बहुत की उत्साहित करने वाला है जिसमें बेहद सरल और सहज उपकरणों की मदद से पूरी तरह से स्वचालित तरीके से जांच की जाएगी।
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