झारखंड में विपक्षी एका के प्रयास को गति देना चाहते हैं सुबोधकांत
पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय के मुताबिक झारखंड में विपक्षी एकता की पूरी गुंजाइश है।

प्रदीप सिंह, रांची। झारखंड में कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति पर सबकी नजरें टिकी हैं। आलाकमान ने प्रदेश में कांग्रेस की कमान बदलने का पूरा मन बना लिया है। पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय का नाम नए प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में सबसे आगे है। इसकी वजह उनकी राजनीतिक स्वीकार्यता को बताया जा रहा है। हालांकि सुबोधकांत सहाय प्रतिद्वंद्विता से खुद को अलग बताते हुए कहते हैं- आलाकमान की पसंद सर्वोपरि है। अगर जिम्मेदारी मिली तो उसे पूरी शिद्दत और ईमानदारी के साथ निभाएंगे।
सुबोधकांत सहाय झारखंड में विपक्षी दलों की एकजुटता के बड़े हिमायती हैं। दैनिक जागरण संग बातचीत में वे इसे स्पष्ट भी करते हैं। उनके मुताबिक विपक्षी एकता की पूरी गुंजाइश भी है। हाल ही में जमीन संबंधी कानून में संशोधन की कोशिश के खिलाफ तमाम दल एकजुट हुए। ऐसे प्रयास को लोगों का समर्थन भी मिल रहा है। उनका दावा है कि राज्य सरकार की नीतियों से क्षुब्ध लोगों को एक स्वर देने की आवश्यकता है। स्थिति विकट है क्योंकि जमीनें छीनने की साजिश चल रही है। गोला और बड़कागांव में विरोध हुआ तो गोलियां चलाई गई।
बड़कागांव में धरने पर बैठी महिला विधायक निर्मला देवी के साथ पुलिस ने बदतमीजी की। उनके पति पूर्व मंत्री योगेंद्र साव से राजनीतिक दुश्मनी साधी जा रही है। पूरे परिवार को तबाह करने की कोशिश हो रही है। यह किसी दल विशेष का मामला नहीं है। अगर सरकार की निरंकुशता बढ़ी तो सभी इसकी चपेट में आएंगे। उनका विरोध इसे लेकर है और वे समान विचारधारा वाले दलों को साथ लेकर आवाज उठाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे।
बाहरी कंपनियों को घेरेंगे
सुबोधकांत सहाय कहते हैं- मोमेंटम झारखंड के नाम पर आए निवेश प्रस्ताव सिर्फ और सिर्फ धोखा और छलावा है। इससे झारखंड को कोई फायदा नहीं होने वाला है। यह सिर्फ चंद पूंजीपतियों को उपकृत करने के लिए किया जा रहा है। सारे बड़े काम बाहरी लोगों को दिए जा रहे हैं। इसमें एक खास समूह लाभान्वित हो रहा है। बड़कागांव के इलाके में इनका समानांतर कानून चलता है। ये विभिन्न नक्सली धड़े को साथ लेकर आम लोगों की आवाज दबाते हैं। वे खुलासा करेंगे कि झारखंड में कौन बड़ा नेता इनका बिजनेस पार्टनर है।

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