रांची में साहूकार के कर्ज में फंसे किसान ने की आत्महत्या
राजधानी रांची में साहूकार के कर्ज में फंसे किसान ने खुदकुशी कर ली।
जागरण संवाददाता, बुढ़मू (रांची)। साहूकार के कर्ज में दबे किसान दुखन यादव (40) ने आत्महत्या कर ली। उसने स्थानीय महाजनों (साहूकारों) से 80 हजार रुपये कर्ज लिए थे, आर्थिक तंगी के कारण वह रकम वापस नहीं कर पा रहा था। इससे वह तनाव में आ गया था। यही उसकी आत्महत्या का कारण भी बना। किसान दुखन यादव बुढ़मू प्रखंड की ओझासाड़म पंचायत के मुन्ना करंबा का निवासी था। राज्य में किसानों की आत्महत्या यह सातवीं घटना सोमवार (17 जुलाई) की है।
आत्महत्या की घटना के बाद डर के मारे घरवालों ने मामले को दबा दिया और थाना-कचहरी से बचने की कोशिश की। स्थानीय कार्यकर्ता बलराम यादव ने शनिवार को कांग्रेस नेता सुबोधकांत सहाय को इसकी सूचना दी, तब जाकर मामले ने तूल पकड़ लिया। सुबोधकांत सहाय की सूचना पर प्रखंड विकास पदाधिकारी, अंचल अधिकारी और थाना प्रभारी शुक्रवार की रात लगभग 12 बजे पीडि़त परिवार के यहां पहुंचे जहां आत्महत्या की पुष्टि हुई। हालांकि कारणों को लेकर अलग-अलग बातें कही जा रही हैं।
बताया गया है कि किसान ने जंगल में पेड़ पर फांसी लगाकर जान दे दी थी। परिजनों ने मंगलवार को शव का अंतिम संस्कार भी कर दिया। इस संबंध में परिजनों का पक्ष है कि डर के मारे किसी को घटना की जानकारी नहीं दी। शुक्रवार को सुबोधकांत सहाय द्वारा मामले की जानकारी वरीय पदाधिकारियों को दिए जाने के बाद स्थानीय प्रशासन की नींद टूटी और लगभग बारह बजे रात में बीडीओ शीलवंत कुमार भट्ट, सीओ सुनील चंद्र एवं थानाप्रभारी राकेश रंजन गांव पहुंचकर पीडि़त परिवार से मिले।
दीवार फांद घर में घुसा प्रशासन, ली घटना की जानकारी
कांग्रेस नेता के साथ प्रशासनिक अधिकारियों के पहुंचने पर पहले तो परिजनों ने दरवाजा ही नहीं खोला। अति उग्रवाद प्रभावित इलाका होने के कारण वे डर गए थे। इसके बाद प्रशासन के लोग दीवार फांदकर घर में घुसे और पूरी जानकारी ली। परिजनों को तत्काल सहायता के रूप में तीन हजार रुपये दिए और अन्य सरकारी सहायता देने का आश्वासन दिया।
कर्ज में था किसान
किसान दुखन की पत्नी रीता देवी, भाई परमेश्र्वर यादव एवं उसकी मां ने सुबोधकांत को बताया कि दुखन ने स्थानीय महाजनों से करीब 80 हजार रुपये कर्ज लिए थे। पिछले कुछ दिनों से महाजन उसे पैसे वापस करने की धमकी दे रहे थे। इससे वह तनाव में रहता था। सोमवार को जंगल में जाकर पेड़ में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।
तीन वर्ष पूर्व दिया था वनाधिकार पट्टे का आवेदन
किसान ने करीब तीन वर्ष पूर्व वन भूमि पट्टा को लेकर आवेदन दिया था, लेकिन आजतक उसे एक ईंच जमीन नहीं मिली। इस बीच वह और गांव के अन्य लोग जंगल की जमीन को ही खेती लायक बनाकर उसमें खेती कर अपना जीवन यापन कर रहे थे।
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