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चुंबन प्रतियोगिता विवादों में, जानिए-किसे होगा नुकसान

चुंबन प्रतियोगिता विवाद की आड़ में राजनीति और तेजी हो सकती है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Thu, 14 Dec 2017 06:51 PM (IST)Updated: Thu, 14 Dec 2017 06:51 PM (IST)
चुंबन प्रतियोगिता विवादों में, जानिए-किसे होगा नुकसान

रांची, जेएनएन। झारखंड में राजनीति कब किस करवट बैठ जाए, कहा नहीं जा सकता। फिलहाल यहां के एक अति पिछड़े जिले में शुमार पाकुड़ में हुई चुंबन प्रतियोगिता विवादों में है। यह आयोजन मुख्य विपक्षी दल झारखंड मुक्तिमोर्चा (झामुमो) के दो वरिष्ठ विधायकों की मौजूदगी में हुआ। इस प्रकरण ने झामुमो को जहां असहज कर दिया है, वहीं सत्ताधारी भाजपा को बैठे-बिठाए एक मुद्दा मिल गया है।

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अमूमन विधानसभा में सत्र के दौरान विपक्षी दल हावी होने की कोशिश करता है, लेकिन इस विवाद ने भाजपा को आक्रामक होने का मौका दे दिया। सदन में भाजपा ने इसी विवाद पर चर्चा कराने की मांग कर डाली तो मुख्य विपक्षी दल के होश उड़ गए। डैमेज कंट्रोल के लिए आननफानन में समारोह में मौजूद रहे विधायक साइमन मरांडी को पार्टी ने नोटिस थमा दी। हालांकि एक अन्य विधायक स्टीफन मरांडी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। साइमन मरांडी को जवाब देने के लिए एक सप्ताह का वक्त मिला है। अब झामुमो के विधायक मुंह छिपाते फिर रहे हैं।

इसी बहाने आदिवासी समुदाय की परंपरा को लेकर भी बहस का दौर चल पड़ा है। हालांकि बहुतायत संगठन इसे लेकर झामुमो की खिंचाई करने में जुट गए हैं। इसका नुकसान झारखंड मुक्ति मोर्चा को हो सकता है। पाकुड़ संताल परगना प्रमंडल के तहत आता है और यह झामुमो के मजबूत आधार वाला क्षेत्र है। इसका अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि लिट्टीपाड़ा में कुछ माह पहले हुए विधानसभा उपचुनाव में सत्तापक्ष को हार का मुंह देखना पड़ा, लेकिन भाजपा का इस इलाके में सांगठनिक विस्तार तेजी से हो रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने दुमका सीट पर कब्जा कर यह संदेश दिया था कि झामुमो का गढ़ ध्वस्त हो रहा है।

अब चुंबन प्रतियोगिता विवाद की आड़ में राजनीति और तेजी होगी। इस प्रकरण पर झामुमो को नुकसान उठाना पड़ सकता है। हालांकि झामुमो के वरीय नेता मामले की लीपापोती में जुट गए हैं। यह भी दलील दी जा रही है कि चुनाव तुरंत नहीं होने वाला है और लोग इस प्रकरण को भूल जाएंगे। लेकिन सत्ताधारी भाजपा इसे ठंडे बस्ते में नहीं जाने देगा। पार्टी की पूरी कोशिश इस विवाद को जिंदा रख राजनीतिक लाभ उठाने की होगी ताकि मजबूत राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी को पछाड़ा जा सके।

अनुशासन का डंडा

सत्ता अपने साथ कई विसंगतियां भी लाती है। झारखंड भाजपा में भी इन दिनों ऐसे मामले सामने आए हैं, जब संगठन को कड़ा रूख अपनाना पड़ा। प्रदेश भाजपा की बैठक के दौरान ऐसा ही एक वाकया पेश आया तो तत्काल निर्णय लेते हुए नेतृत्व ने निलंबन आदेश जारी किया। प्रदेश भाजपा की पूर्व उपाध्यक्ष सीमा शर्मा ने बैठक के दौरान आपत्तिजनक बिंदु उठाए थे। जब उन्हें रोकने की कोशिश की गई तो आपे से बाहर हो गई। सीमा शर्मा का रूख देकर भाजपा के वरीय नेता सकते में आ गए। मुख्यमंत्री रघुवर दास स्वयं बैठक में मौजूद थे।

उन्होंने प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में तमाम बातें रखने को कहा लेकिन बात आगे बढ़ गई। इसे गंभीरता से लेते हुए प्रदेश नेतृत्व ने कार्रवाई कर दी। अनुशासनहीनता बरतने के आरोप में पलामू के रवींद्र तिवारी भी बर्खास्त कर दिए गए। उनपर पार्टी के नेताओं के खिलाफ गलतबयानी करने का आरोप है। प्रदेश भाजपा नेतृत्व की दलील है कि वे इसके लिए सोशल मीडिया का सहारा ले रहे थे। यह अनुशासनहीनता के दायरे में आता है।

इन दो नेताओं पर सीधी कार्रवाई से वैसे तत्व हतोत्साहित होंगे जो बगावती तेवर अपनाकर दलीय अनुशासन को चुनौती देने की फिराक में हैं। प्रदेश भाजपा की अनुशासन समिति ने इससे पूर्व भी कुछ जिलाध्यक्षों के खिलाफ एक्शन लिया है। सभी स्तर पर समिति ने संदेश दिए हैं कि मर्यादा की सीमा-रेखा लांघ रहे नेताओं पर नजर रखें और उनकी गतिविधियों से प्रदेश भाजपा नेतृत्व को अवगत कराएं।

स्वच्छता में नंबर वन

केंद्रीय आवास व नगर विकास मंत्रालय ने स्वच्छता को लेकर जारी स्कोर कार्ड में झारखंड को पहला स्थान दिया है। राज्य के शहरों के स्कोर कार्ड में धनबाद को टॉप फाइव शहरों में शामिल हैं। स्वच्छता सर्वेक्षण में सक्रियता के आधार पर यह स्कोर कार्ड जारी किया गया है। स्कोर कार्ड के अनुसार, राज्यों में झारखंड जहां पहले स्थान पर है, वहीं छत्तीसगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र तथा राजस्थान क्रमश: दूसरे, तीसरे, चौथे तथा पांचवें स्थान पर है। टॉप पांच शहरों में मध्य प्रदेश का मंदसौर पहले, नीमच दूसरे, उत्तर प्रदेश का कानपुर तीसरे, मप्र का सिंगरौली चौथे तथा झारखंड का धनबाद पांचवें स्थान पर है।

स्वच्छता से संबंधित शिकायतों की निष्पादन दर झारखंड में 94.99 फीसद है। यहां अबतक 1,11,190 लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है, जबकि 2,49,300 शिकायतें दर्ज हुई हैं। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय आवास व नगर विकास मंत्रालय ने स्वच्छता से संबंधित शिकायतों के ऑनलाइन लेने तथा उसके निष्पादन के लिए स्वच्छता एप जारी किया है। इसी एप में आ रही शिकायतों तथा उसके निष्पादन के आधार पर यह स्कोर कार्ड जारी किया गया है। 

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