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Lok Sabha Polls 2019 : पहले चुनाव में खर्च किए केवल पांच हजार, साइकिल से किया चुनाव प्रचार, दो बार चुने गए सांसद

Lok Sabha Polls 2019. पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो के पहले चुनाव में महज पांच हजार रुपये खर्च हुए थे। वे साइकिल से प्रचार के लिए निकलते थे।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Wed, 20 Mar 2019 03:47 PM (IST)Updated: Wed, 20 Mar 2019 03:47 PM (IST)
Lok Sabha Polls 2019 : पहले चुनाव में खर्च किए केवल पांच हजार, साइकिल से किया चुनाव प्रचार, दो बार चुने गए सांसद
Lok Sabha Polls 2019 : पहले चुनाव में खर्च किए केवल पांच हजार, साइकिल से किया चुनाव प्रचार, दो बार चुने गए सांसद

जमशेदपुर [मुजतबा हैदर रिजवी]। अब चुनावी तामझाम बड़ा खर्चीला हो गया है। लेकिन, शुरुआत में ऐसा नहीं था। तब नेताओं को प्रचार में जेब से फूटी कौड़ी नहीं देनी पड़ती थी। सादगी से प्रचार होता था और खाने-पीने का जो खर्च होता था वो कार्यकर्ता उठाते थे। पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो के पहले चुनाव में महज पांच हजार रुपये खर्च हुए थे। वे साइकिल से प्रचार के लिए निकलते थे। सोनारी स्थित अपने आवास से अकेले ही बस से घाटशिला पहुंचते थे। वहां से दो-चार साथियों के साथ साइकिल से गांव-गांव प्रचार के लिए निकल जाते थे।

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इस तरह, बिना शोर-शराबे के प्रचार होता था। तब बैनर-पोस्टर का जमाना नहीं था और जो भी खर्च होता था कार्यकर्ता खुद ही करते थे। शैलेंद्र महतो ने पहला चुनाव 1984 में झामुमो से लड़ा था। वो भले ही इस चुनाव में पराजय का स्वाद चखते हुए 5163 वोट पाकर चौथे स्थान पर थे लेकिन, उनकी आगामी सियासत की आधारशिला इसी चुनाव में पड़ी। उनकी मानें तो पार्टी की तरफ से भी चुनाव प्रचार के लिए कोई रकम नहीं मिली थी। वो ये चुनाव कार्यकर्ताओं के बूते लड़े थे। शैलेंद्र बताते हैं कि कार्यकर्ता भी जानते थे कि पार्टी के पास पैसा नहीं है।

ग्रामीण ही  नेताओं को खिलाते थे खाना

बैनर-पोस्टर का खर्च तब था नहीं। तब प्रचार का मुख्य साधन दीवार लेखन था। कार्यकर्ता अपने खर्च पर दीवार लेखन करते थे। झंडा भी कार्यकर्ता ही बनाते थे। प्रचार के दौरान गांवों में ग्रामीण ही नेताओं को खिलाते-पिलाते थे। उनकी पार्टी को तब चंदा भी नहीं मिलता था। जीप और मोटरसाइकिल भी नहीं थी। इसलिए, गांव-गांव जाने के लिए साइकिल का ही सहारा लेना पड़ा। वो घर से बस से घाटशिला पहुंचते थे। यहां उन्हें पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा मिलते थे। बकौल शैलेंद्र महतो तब सूर्य सिंह बेसरा झामुमो में ही थे। वो 1986 के बाद आजसू में चले गए थे।

1989 में जीप से किया था प्रचार

पूर्व लोकसभा सदस्य शैलेंद्र महतो बताते हैं कि झामुमो ने 1989 में फिर उन पर भरोसा किया। इस बार वो जीत गए और लोकसभा सदस्य बने। इस चुनाव में ईंट भट्ठा चलाने वाले पहाड़ महतो ने रेंट पर एक जीप दिला दी। इसी से प्रचार पर निकलते थे। इस चुनाव में कांटे की लड़ाई हुई। शैलेंद्र बताते हैं कि उन्हें एक लाख 40 हजार मत मिले। भाजपा को एक लाख 31 हजार वोट मिले। इस तरह, इस चुनाव में शैलेंद्र ने 22 हजार मतों से जीत हासिल की। 1991 के लोकसभा चुनाव में भी झामुमो के शैलेंद्र चुनाव जीत कर लोकसभा सदस्य बने थे।

राजनीतिक सफर

  • 5163 मत पाकर 1984 के लोकसभा चुनाव में चौथे स्थान पर थे शैलेंद्र महतो
  • 8884 मतों से 1989 का लोकसभा चुनाव जीते थे शैलेंद्र महतो
  • 56247 मतों से 1991 का लोकसभा चुनाव जीते थे शैलेंद्र महतो
  • 129044 मत पाकर 1996 के लोकसभा चुनाव में तीसरे स्थान पर थे शैलेंद्र महतो

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