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    आरोपी को देख डीएसपी ने जोड़े हाथ, कहा-मुझे पत्थर क्यों मारा

    By Sachin MishraEdited By:
    Updated: Fri, 02 Jun 2017 04:55 PM (IST)

    पत्थरबाज निजामुद्दीन ने हाथ जोड़कर कांपते स्वर में कहा कि साहब मुझसे गलती हो गई।

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    आरोपी को देख डीएसपी ने जोड़े हाथ, कहा-मुझे पत्थर क्यों मारा

    जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। धतकीडीह के 60 वर्षीय पत्थरबाज व पांच बच्चों के पिता मो. निजामुद्दीन को देखते ही सीसीआर डीएसपी ने हाथ जोड़कर उससे कहा कि बाबा आपने मुझे पत्थर क्यों मारा। आपकी और मेरी तो कोई दुश्मनी भी नहीं थी, लेकिन फिर भी आपने मुझे पुराना डीसी आफिस तक दोनों हाथ में पत्थर लेकर दौड़ाया और अंत में पत्थर मुझे दे मारा, जिससे मुझे चोट लग गई।

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    डीएसपी की बात सुनते ही पत्थरबाज निजामुद्दीन भी हाथ जोड़कर कांपते स्वर में कहा कि साहब मुझसे गलती हो गई। मेरे हाथ में तो बस्ती के युवकों ने ही पत्थर पकड़ा दिया और मारने को कहा। डीएसपी ने बुजुर्ग से कहा कि आप मेरा नाम जानते हैं? तब बुजुर्ग ने कहा कि नहीं साहब मैं आपका नाम नहीं जानता हूं लेकिन पहचानता जरूर हूं।

    आप पुलिस के बड़े अधिकारी है। इतना सुनने के बाद डीएसपी ने बुजुर्ग से कहा कि मेरे पास जब आपकी तस्वीर आई तो मैंने आपको पहचान लिया और आपकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी करवाई, जिससे आपकी गिरफ्तारी हो गई। मैं यह आपको बताना चाहता था कि जिस उम्र में आप है, उस उम्र में किसी पर पत्थर फेंकना शोभा नहीं देता है। वैसे भी आप पांच बच्चों के पिता हैं।

    जी हां, यह बातें हो रही हैं राजनगर में हुए हादसे के बाद 20 मई को धतकीडीह टीओपी के समीप पथराव, तोड़फोड़ व सड़क जाम करने के दौरान उपद्रव करने वाले धतकीडीह बस्ती के मो. निजामुद्दीन की। 20 मई को सड़क पर टायर जलाकर जाम कर दिया था पुलिस ने विरोध किया तो धतकीडीह टीओपी में तोड़फोड़ कर दिया।

    पुलिस पदाधिकारी ने रोकना चाहा तो बिष्टुपुर इंस्पेक्टर श्रीनिवास पर हथियार से आरोपियों ने हमला कर दिया था जबकि डीएसपी सीसीआर सुधीर कुमार को मो. निजामुद्दीन पत्थर लेकर पुराना डीसी आफिस तक दौड़ा दिया और अंत में निशाना लगाते हुए डीएसपी पर ताबड़तोड़ पथराव करने लगा था।

    निजामुद्दीन की गिरफ्तारी के बाद उसके परिवार के लोग थाना पहुंच गये और उसे निदरेष बताने लगे। लेकिन जब पुलिस ने वह तस्वीर निजामुद्दीन के परिवार वालों को दिखाई, जिसमें निजामुद्दीन ने अपने दोनों हाथों में पत्थर ले रखे थे तो परिवार वाले थाने से लौट गए।

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