पढ़ाई बस कक्षा आठ, सैकड़ों को पढ़ा रहे मेहनत का पाठ
रोजगार के लिए इधर-उधर भटकने वाले व निराशा की ओर बढ़ रहे युवाओं को संतोष खेती की सलाह देकर स्वरोजगार की ओर प्रेरित करते हैं।
कटकमदाग, (हजारीबाग) [केके सिंह] । कटकमदाग प्रखंड के बांका गांव निवासी संतोष कुमार साव को गरीबी के कारण आठवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी। इस बात का मलाल उन्हें आज भी है लेकिन कम पढ़े-लिखे संतोष क्षेत्र के सैकड़ों युवाओं को मेहनत, खेती और खुशहाली का पाठ पढ़ा रहे हैं।
रोजगार के लिए इधर-उधर भटकने वाले व निराशा की ओर बढ़ रहे युवाओं को संतोष खेती की सलाह देकर स्वरोजगार की ओर प्रेरित करते हैं। किसानों-मजदूरों को भी वह रोजगार की तलाश में अन्यत्र पलायन करने की बजाय आधुनिक तरीके से खेती कर खुशहाल बनने की सलाह देते हैं। संतोष खुद तो खेती से नाम और पैसे कमा ही रहे हैं, कई किसानों ने भी उनकी राह पर चलकर अच्छी जिंदगी हासिल की है। कभी चार कट्ठे से खेती शुरू करने वाले संतोष आज तीन एकड़ जमीन के मालिक हैं।
वैज्ञानिक तरीके से खीरा व अन्य सब्जियों की खेती कर वह अच्छी-खासी आमदनी कर लेते हैं। पिता नेमन साव को आदर्श मानकर उन्होंने अन्य काम करने के बदले वैज्ञानिक ढंग से खेती शुरू की थी। संतोष सब्जियों की सिंचाई टपक विधि से करते हैं। यह विधि कम पानी में ही पर्याप्त सिंचाई करने में कारगर है। इस तरह वह पानी की बर्बादी भी रोकते हैं।
भाई व बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान :
शिक्षा पूरी न कर पाने का मलाल संतोष को सालता है। वह कहते हैं कि मैं नहीं पढ़ सका लेकिन भाई को स्नातक तक की शिक्षा दिलाई। कृषि बीज भंडार दुकान, सीमेंट की दुकान खोली, दो बच्चे डीपीएस हजारीबाग में पढ़ाई कर रहे हैं। बच्चों को खूब पढ़ाना चाहता हूं।
कई बार हो चुके हैं पुरस्कृत :
संतोष कुमार साव को जिला से 2007 में सफल कृषक का प्रमाण पत्र, 2008 में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा शिमला मिर्च व फूलगोभी के उत्पादन में हजारीबाग जिला के प्रथम कृषक के रूप में हॉली क्रॉस द्वारा सम्मानित किया गया। जिला स्तरीय कृषि मेला सम्मेलन में अच्छे उत्पादन के कारण प्रथम पुरस्कार मिला। 2013 में प्रखंड स्तरीय कृषक चुनकर गुजरात जाकर तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रमाण पत्र प्राप्त किया। 2015 में राज्य स्तरीय ड्रिप इरिगेशन से गहन खेती करने को लेकर पुरस्कृत हुए।
70 प्रतिशत पानी की बचत :
ड्रिप सिस्टम (टपक विधि) द्वारा सिंचाई करने से तीस प्रतिशत पानी की खपत होती है। इससे 70 प्रतिशत पानी का बचाव किया जा सकता है। पूरे खेत में टपक सिस्टम पाइप बिछाया गया है। डीजल वीडर मशीन से निराई कुड़ाई कर मजदूरों की कमी की समस्या से निजात पाया जा रहा है।
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