पीएमसीएच में भांजी से ब्लेड मंगा मरीज ने काट लिया गला
भांजी से ब्लेड मंगा कर मरीज ने अपना गला काट लिया। घटना झारखंड के धनबाद की है।
जागरण संवाददाता, धनबाद। बीमारी से परेशान एक मरीज ने इलाज के दौरान पाटलीपुत्र मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) में ही गला काटकर आत्महत्या कर ली। 25 वर्षीय नंदई भुइयां उर्फ नंदन भुइयां कतरास के सलानपुर बस्ती का रहने वाला था। वह चार वर्ष से टीबी और अस्थमा की बीमारी से पीड़ित था। तीन दिन पूर्व तबीयत बिगड़ने पर उसे पीएमसीएच में भर्ती कराया गया था। शुक्रवार सुबह उसने ब्लेड से अपना गला काट लिया। डॉक्टरों ने उसे बचाने का काफी प्रयास किया लेकिन वे सफल नहीं हुए।
नाखून काटने के बहाने मंगाया था ब्लेड
पीएमसीएच में भर्ती नंदन ने गुरुवार रात ही आत्महत्या का इरादा कर लिया था। शुक्रवार को सुबह होते ही करीब 6:30 बजे भांजी को बाहर की दुकान से ब्लेड लाने भेज दिया था। नंदन ने भांजी से कहा कि उसके नाखून काफी बढ़ गए हैं। नाखून काटने के लिए एक ब्लेड ला दो। खतरे से अनजान भांजी ने दुकान खुलते ही मामा के लिए नया ब्लेड खरीद कर ला दिया। मामा को ब्लेड देकर वह कुर्सी लाने के लिए वार्ड के बाहर चली गई। इसके तुरंत बाद नंदन ने अपना गला काट लिया। थोड़ी देर में भांजी लौटी तो उसने मामा को खून में डूबा पाया। तत्काल डॉक्टरों को बुलाया गया पर उसकी जान जा चुकी थी।
घटनाक्रम:
कतरास के सालानपुर बस्ती निवासी नंदन भुइयां को सांस लेने में तकलीफ के बाद 26 अप्रैल को पीएमसीएच में भर्ती कराया गया था। वह चार वर्ष से बीमार रह रहा था। उसे अस्थमा और टीबी की बीमारी थी। अक्सर उसकी तबीयत बिगड़ जाती थी। उसके माता-पिता की मौत पहले ही हो चुकी है। देखभाल के लिए उसके साथ 12 वर्ष की भांजी शोभा कुमारी रहती थी। शुक्रवार सुबह करीब 6:30 बजे उसकी भांजी शोभा वार्ड से बाहर निकली, तभी उसने ब्लेड से अपना गला काट लिया। थोड़ी देर बाद जब उसकी भांजी लौटी तो मामा को खून से लथपथ पाया। उसने डॉक्टरों को इसकी जानकारी दी।
डॉक्टरों ने उसे तत्काल इमरजेंसी में लाकर इलाज शुरू किया पर आधे घंटे बाद उसकी मौत हो गई। सूचना पाकर सरायढेला पुलिस मौके पर पहुंची और शव का पोस्टमार्टम कराया। इसके बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया। भांजी के बयान पर पुलिस ने कांड अंकित किया है। भांजी ने बताया कि बीमारी की पीड़ा से मुक्ति के लिए उन्होंने अपना गला काट लिया।
सदमे ने ले ली जान:
नंदन ने खुद अपनी जान देने के लिए गला तो काट लिया था लेकिन उसकी जान सदमे में गई। गला काटने से उसकी गर्दन को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा था। उसे बचाया जा सकता था लेकिन बीमारी के कारण उसके पेट के कई अंग पहले से खराब थे। ऊपर से गला काटने के कारण हुए अत्यधिक रक्तस्राव और शरीर के अंदरूनी अंगों के फेल होने के कारण आखिर उसकी मौत हो गई।
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