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कुपोषण से मौत पर उठे कई सवाल

पालोजोरी (देवघर): आज ढेना मुर्मू का आंगन सूना हो गया उसके जीने का एकमात्र सहारा उसका पांच वर्षीय बे

By Edited By: Published: Tue, 15 Sep 2015 01:35 AM (IST)Updated: Tue, 15 Sep 2015 01:35 AM (IST)

पालोजोरी (देवघर): आज ढेना मुर्मू का आंगन सूना हो गया उसके जीने का एकमात्र सहारा उसका पांच वर्षीय बेटा है जिसे प्रशासनिक पहल पर सरकारी स्कूल में नामांकन कराया गया है। यह इस बात को पुष्ट करता है कि उस परिवार की माली हालत अच्छी नहीं है। बीते महीने उस घर से जब एक-एक कर दो शवयात्रा निकली तब भी ना तो पंचायती राज के रहनुमा व प्रशासन ने विशेष पहल नहीं की। यदि किया होता तो उसी वक्त अबोध बबीता का इलाज शुरू हो जाता। रविवार को कैबिनेट मंत्री रणधीर सिंह के पहल पर प्रखंड विकास पदाधिकारी ने एक तरफ बच्ची को इलाज के लिए कुपोषण उपचार केंद्र में भर्ती कराया वहीं ढेना को 50 किलो अनाज भी दिया गया।

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बच्ची का नहीं हुआ इलाज

बताया जाता है कि जब बबीता को कुपोषण केंद्र में भर्ती कराने बीडीओ पहुंचे तब एक भी चिकित्सक वहां नहीं थे। मामले की गंभीरता को लेकर ही बीडीओ विशाल कुमार ने मोबाइल पर डॉ. देवानंद को पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी, लेकिन बीमार बच्ची को देखने कोई नहीं आए। एक महिला स्वास्थ्यकर्मी ने उसे उचित पौष्टिक आहार जरूर दिया। सोमवार को जब उसकी मौत हो गई तो आनन-फानन में डॉक्टर आए, दिखावे के लिए इधर उधर किया, लेकिन वह तो तब तक दुनियां छोड चुकी थी।

डॉक्टर व सेविका की लापरवाही

मौत की खबर तो जंगल में आग की तरह फैल गई। पूरा महकमा दौड़ने लगा, मामला सूबे के मंत्री के इलाका का होने के कारण तो और भी गंभीर हो गया। हाय तौबा मच गया, उपायुक्त के निर्देश पर एसडीओ मधुपुर कुपोषण उपचार केंद्र पहुंचे। बीडीओ ने भी केंद्र पहुंचकर जांच किया। पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से एक रिपोर्ट तैयार कर जिला को भेज दिया है। एसडीओ ने कहा कि चिकित्सक व सेविका की लापरवाही है। आदेश की अवहलेना के कारण ही घटना हुई है उपायुक्त से कार्रवाई की अनुशंसा की जा रही है। उधर सिविल सर्जन ने भी चिकित्सक के खिलाफ रिपोर्ट की बात की है। सीडीपीओ ने कहा कि मामले की जानकारी विलंब से हुआ, सुपरवाइजर एवं सेविका से स्पष्टीकरण पूछा जा रहा है।

नहीं मिल रहा केंद्र का लाभ

कुपोषण उपचार केंद्र जिस मकसद से खोला गया है उसका फायदा उसे मिले इसे लेकर मुख्यमंत्री भी गंभीर हैं। कई दफा इस बाबत आवश्यक दिशा निर्देश भी विभागीय पदाधिकारियों को दिया जाता है। जिला में में मासिक समीक्षा बैठक में भी इसकी चर्चा होती है। स्वास्थ्य, बाल विकास विभाग की इस संयुक्त योजना का लाभ मिले इसके लिए आंगनबाड़ी केंद्र में आने वाले बच्चों की जांच की जाती है। सूचना मिलने पर ऐसे बच्चों को उप स्वास्थ्य केंद्र लाया जाता है उसके बाद उसे कुपोषण उपचार केंद्र में तब तक रखने का प्रावधान है जब तक वह स्वस्थ्य नहीं हो जाए, लेकिन इस मामले में सबकी ओर से लापरवाही हुई है। जनप्रतिनिधि, प्रशासन और जिम्मेदार विभाग तो इसमें सबसे आगे है। पता नहीं घरवालों ने कभी इसकी चर्चा कहीं की या नहीं। आज तो ढेना मुर्मू इस हालत में नहीं था कि वह कुछ बता पाए, लेकिन इस सवाल का जवाब प्रशासन को निकालना चाहिए ताकि आने वाले समय में ऐसी घटना दुबारा नहीं हो।


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