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साहब, सेहरी तो हुई नहीं लेकिन इफतारी की दावत आतंकियों को मारने के बाद डटकर होगी

मेरे लिए इससे बेहतर और क्या होगा कि पाक रमजान में मुझे कौम और देश के गद्दारों को मार गिराने का मौका मिला है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 06 Jun 2017 10:59 AM (IST)Updated: Tue, 06 Jun 2017 01:15 PM (IST)
साहब, सेहरी तो हुई नहीं लेकिन इफतारी की दावत आतंकियों को मारने के बाद डटकर होगी

श्रीनगर, [नवीन नवाज ]। चेतन चीता के मुठभेड़ में जख्मी होने के बाद सीआरपीएफ की 45वीं वाहिनी की कमान संभालने वाले कमांडेंट इकबाल अहमद सोमवार तड़के उठकर रोजा रखने की तैयारी कर रहे थे। अचानक उनका वायरलेस सेट बजा। पाक रमजान का महीना शुरू होने के बाद उनके लिए यह अप्रत्याशित था, क्योंकि उनके साथी जानते थे कि अपने धर्म में अटूट आस्था रखने वाले इकबाल अहमद पक्के रोजेदार हैं। इसलिए वह उन्हें तड़के किसी आम घटना के लिए सूचित नहीं करते थे, लेकिन सोमवार को स्थिति अलग थी, शिविर पर हमला हुआ था।

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कमांडेंट इकबाल अहमद भी हैरान थे कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि वायरलेस पर सीधा संदेश आ रहा है। उन्होंने फौरन वायरलेस उठाया तो दूसरी तरफ से संदेश आया कि शिविर पर आतंकी हमला हो गया है। वह उस समय घटनास्थल से करीब 300 मीटर की दूरी पर स्थित अपने निवास पर थे। उन्होंने सेहरी को छोड़ अपनी असाल्ट राइफल उठाई और आतंकियों से मुकाबले के लिए निकल पडे़।

आतंकियों का मुकाबला कर रहे जवानों को जब पता चला कि साहब खुद मोर्चे पर आ गए हैं और वह भी सेहरी को छोड़कर, तो उनका हौसला और मनोबल कई गुणा बढ़ गया। उन्होंने कहा साहब , अब सेहरी तो आपकी हुई नहीं, लेकिन इफतारी की दावत आतंकियों को मार गिराने के बाद डटकर होगी। कमांडेंट इकबाल अहमद मुठभेड़ के समाप्त होने तक मौके पर अपने जवानों और अधिकारियों के बीच ही डटे रहे। 

आतंकियों के हमले का निशाना बने सुंबल शिविर में सीआरपीएफ की 45वीं वाहिनी की चार्ली व डेल्टा कंपनी का मुख्यालय है। मुठभेड़ के बाद अपने साथियों और जवानों को जब कमांडेंट इकबाल आतंकियों को मार गिराने के लिए मुबारक दे रहे थे तो उनके एक सहयोगी अधिकारी ने कहा कि तुम्हारा रोजा तो टूट गया, जवाब आया नहीं, रोजा टूटा नहीं है। खुदा का हुक्म आया था कि सेहरी से ज्यादा बढि़या तुम्हें इफतारी होगी। यही हुआ है। मेरे लिए इससे बेहतर और क्या होगा कि पाक रमजान में मुझे कौम और देश के गद्दारों को मार गिराने का मौका मिला है।

 कुत्तों ने बचाई कइयों की जान :

मुठभेड़स्थल पर मौजूद एक अधिकारी ने कहा कि हमलावर आत्मघातियों को रोकने में आज कुत्तों ने भी खूब मदद की। यहां आवारा घूमने वाले कुत्ते, जिन्हें शिविर के जवान अक्सर रोटी देते हैं, तड़के अचानक जोर जोर से भौंकने लगे। इससे संतरी को संदेह हुआ और उन्होंने उस तरफ रोशनी वाले बम (इल्युमिनेटर)फेंके, जिस तरफ मुंह कर कुत्ते भौंक रहे थे। इल्युमिनेटर से हुई रोशनी में आतंकियों की मौजूदगी का पता चला । कुत्तों ने आज बहुत से लोगों की जान बचाई है।

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