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Jammu Kashmir News: सरकंडे की आड़ में सीमा से आतंकियों की घुसपैठ की संभावना, खुफिया एजेंसियां सतर्क

म्मू कश्मीर में दो चरण के चुनाव संपन्न होने के बाद अभी जारी अगली चुनावी प्रक्रिया के बीच रविवार को बसंतगढ़ में आतंकियों की सक्रियता के पीछे कठुआ जिले के साथ लगती अंतरराट्रीय सीमा फिर चर्चा में है। दरअसल सीमा क्षेत्र में नालों में उगे भारी मात्रा में सरकंडे की आड़ में सीमा से पाक प्रायोजित आतंकियों की घुसपैठ की संभावना है।

By rakesh sharma Edited By: Jeet Kumar Published: Mon, 29 Apr 2024 06:00 AM (IST)Updated: Mon, 29 Apr 2024 06:00 AM (IST)
सरकंडे की आड़ में सीमा से आतंकियों की घुसपैठ की संभावना

राकेश शर्मा,कठुआ। जम्मू कश्मीर में दो चरण के चुनाव संपन्न होने के बाद अभी जारी अगली चुनावी प्रक्रिया के बीच रविवार को बसंतगढ़ में आतंकियों की सक्रियता के पीछे कठुआ जिले के साथ लगती अंतरराट्रीय सीमा फिर चर्चा में है। दरअसल सीमा क्षेत्र में नालों में उगे भारी मात्रा में सरकंडे की आड़ में सीमा से पाक प्रायोजित आतंकियों की घुसपैठ की संभावना है।

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इसलिए जिला कठुआ के बिलावर के मल्हार पहाड़ी क्षेत्र से सटे बसंतगढ़ में सुबह मुठभेड़ के बाद पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक ने आतंकियों के कठुआ जिले की अंतरराष्ट्रीय सीमा घुसपैठ की तुरंत आशंका जाहिर कर दी। हालांकि इसकी जांच जारी है। ऊधमपुर व जम्मू में चुनाव होने से पहले खुफिया एजेंसियों को इस तरह की घुसपैठ होने की सूचनाएं मिली थीं।

सरकंडा और दरियाई घास काफी मात्रा में उगे

सीमा पर कई दरिया और नाले भी हैं,जो सीधे पाकिस्तान तक जाते हैं। नालों-नदियों में तारबंदी नहीं है। हालांकि, कई बार पानी कम होने पर तारबंदी की जाती है, लेकिन समय समय पर वर्षा होने से वह कारगर नहीं होती है। अब तो नालों व दरियाओं में सरकंडा और दरियाई घास इतनी उगी है कि उससे कोई भी पैदल खड़े होकर आराम से मूव कर सकता है। अभी सीमा पर गेंहू की फसल भी लगी है,जो कटी नहीं है। ये सभी कारण घुसपैठ की तरफ इशारा कर रहे हैं।

ऊधमपुर का बसंतगढ़ क्षेत्र बिलावर के मल्हार पहाड़ी क्षेत्र से सटा है, जिसकी सीमा ऊधमपुर जिला से सटी है। डेढ़ दशक पहले आतंकियों का गढ़ हुआ करता था भले ही कुछ वर्षों में मल्हार में सक्रिय आतंकी या पकड़े जा चुके हैं या आत्मसपर्मण करके मुख्यधारा में लौट चुके हैं,लेकिन जो उस समय सीमा पार रह गए थे,वो वहां बैठे-बैठे अभी बिलावर में फिर नेटवर्क बनाने की कोशिशें करते रहते हैं। इसका उदाहरण बिलावर में दो साल की घटनाओं पर गौर करें तो कई प्रणाम मिलते हैं।

बमियाल सीमा अभी भी घुसपैठ के लिए इस्तेमाल होती है

डेढ़ वर्ष पूर्व बिलावर से बस में आतंकी समर्थक जम्मू में हथियार और विस्फोटक लेकर पहुंच गया था। कुछ महीने के बाद मलाढ़ में स्टिकी बम के साथ पकड़ा गया आतंकी जो अब जम्मू जेल में भी इसका प्रमाण है कि कठुआ और सांबा की सीमा के साथ पंजाब से सटी बमियाल सीमा अभी भी घुसपैठ के लिए इस्तेमाल होती है,भले ही वहां मुस्तैदी से दिन-रात तैनात सीमा प्रहरी उनकी नापाक हरकतों को असफल बनाने में पैनी नजरों से डटे हुए हैं,लेकिन सीमा पर भौगोलिक परिस्थितियां ऐसी हैं कि वहां से मौका पाकर सीमा से पाक प्रायोजित आतंकियों की घुसपैठ करने में कई बार सफल होते रहे हैं।

वायु सेना स्टेशन पर हमला करने में सफल हो गए थे

सात साल पहले कठुआ जिला से सटी पंजाब के बमियाल की अंतरराष्ट्रीय सीमा से आतंकी घुसपैठ कर पठानकोट के वायु सेना स्टेशन पर हमला करने में सफल हो गए थे। कठुआ जिला में तरनाह नाला, भाग नाला, उज्ज दरिया, बेई नाला आदि आज भी सीमा पार से घुसपैठ करने वाले आतंकियों के लिए हाईवे से होते हुए बिलावर से ऊधमपुर और डोडा तक पहुंचने में सुरक्षित रूट हैं। गत वर्ष हीरानगर के सन्याल गांव में पुलिस चौकी के पास रात को रहस्मय जोरदार धमाका भी घुसपैठियों की समय समय पर घुसपैठ की तरफ इशारा करते हैं।


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