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अमरनाथ यात्रा के दौरान स्वास्थ्य की अनदेखी न करें श्रद्धालु

अगर इन बीमारियों से पीडि़त लोग यात्रा करने से परहेज करें तो कई जिंदगियां बचाई जा सकती हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 19 Jun 2017 12:15 PM (IST)Updated: Mon, 19 Jun 2017 12:15 PM (IST)
अमरनाथ यात्रा के दौरान स्वास्थ्य की अनदेखी न करें श्रद्धालु
अमरनाथ यात्रा के दौरान स्वास्थ्य की अनदेखी न करें श्रद्धालु

जम्मू, [रोहित जंडियाल] ।श्री बाबा अमरनाथ की यात्रा शुरू होने में मात्र दस दिन रह गए हैं। ऐसे में श्रद्धालुओं की हृदयाघात से कोई मौत न हो, इसके लिए बोर्ड व स्वास्थ्य विभाग तैयारियों में जुटा है। अभी तक देखा गया है कि यात्रा मार्ग पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से किए गए सभी प्रबंध दुर्गम मार्ग, कम तापमान व हेल्थ एडवाइजरी की अनदेखी के चलते विफल हो जाते हैं।

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हृदय रोग विशेषज्ञों का कहना है कि यात्रा पर जाने के इच्छुक श्रद्धालुओं को अभी से तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। यात्रा के लिए सरकार ने इस बार भी स्वास्थ्य प्रमाणपत्र को अनिवार्य कर दिया है। इसके तहत श्रद्धालु का ईसीजी, ब्लड प्रेशर, मधुमेह की जांच के अलावा कई टेस्ट हो रहे हैं, लेकिन श्रद्धालुओं की भीड़ के चलते अक्सर यह टेस्ट नहीं हो पाते। आस्था में डूबे मरीज स्वयं भी अपनी बीमारी को छुपाते हैं।

यात्रा के दौरान यह परेशानी बढ़ती है और हृदयाघात का कारण बनती है।यात्रा के दोनों मार्ग बालटाल और पहलगाम काफी दुर्गम हैं। पैदल यात्रियों को कई जगह चलने में परेशानी होती है। पहलगाम मार्ग पर शेषनाग से पहले गणेशटॉप की चढ़ाई काफी कठिन है।

वहीं, बालटाल मार्ग पर भी कई जगह चढ़ाई में दिक्कतें आती हैं। दोनों मार्ग पर जगह-जगह पड़ी बर्फ, तापमान में निरंतर कमी भी श्रद्धालुओं का स्वास्थ्य बिगाड़ देती है।

श्री माता वैष्णो देवी नारायणा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. उज्ज्वल का कहना है कि पहाड़ी मार्गो पर चलने के सभी आदी नहीं होते, जिससे मौत अधिक होती है। हृदय रोग के मरीज को तभी बचाया जा सकता है, जब तुरंत उसका इलाज हो।

जीएमसी में हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. सुशील शर्मा का कहना है कि श्रद्धालु अपने स्वास्थ्य प्रमाणपत्र को ही स्वास्थ्य की गारंटी मानते हैं, लेकिन ऐसा नहीं होता। यात्रा मार्ग पर जगह-जगह ग्लेशियर हैं और तापमान में भी कमी है। जितनी ठंड होगी, दिल को पंपिंग की उतनी ही जरूरत पड़ेगी, लेकिन ठंड और ऑक्सीजन की कमी के कारण ऐसा हो नहीं पाता। इसलिए हृदयाघात के अधिक मामले सामने आते हैं।पिछले साल यात्रा के दौरान पंजतरणी में ड्यूटी देने वाले डॉ. विनोद खजूरिया के अनुसार उनके सामने जितने श्रद्धालुओं की मौत हुई, उसका कारण ऑक्सीजन की कमी और स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही सबसे अधिक थी।

पंजतरणी से भवन तक सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्रस्वास्थ्य के लिहाज से पंजतरणी से लेकर भवन तक सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्र हैं। यहीं पर सबसे अधिक मौतें होती हैं। यहां पर ऑक्सीजन की कमी है। तापमान में कमी और मार्ग का एक बड़ा भाग ग्लेशियर पर होना भी है।

यात्रा के दौरान दवाई लेना बंद न करें डॉ. उज्ज्वल के अनुसार कई मरीजों की मौत का कारण दवाई न लेना है। पहले से दवाइयां ले रहे कई श्रद्धालु यात्रा के दौरान दवाई लेना बंद कर देते हैं। यही उनकी मौत का कारण बनता है।

बीमारी को न छुपाएं

अस्थमा, मधुमेह, ब्लड प्रेशर, हृदय रोग से पीडि़त व्यक्ति आस्था में आकर कई बार अपनी बीमारी को छुपा लेते हैं और यात्रा के दौरान लापरवाही बरतते हैं। अगर इन बीमारियों से पीडि़त लोग यात्रा करने से परहेज करें तो कई जिंदगियां बचाई जा सकती हैं।

रुक-रुक कर करें यात्रा

हृदय रोग विशेषज्ञों के अनुसार अगर एक ही बार यात्रा करने के बजाय रुक-रुक कर यात्रा करें तो भी यात्रा को सुगम बनाया जा सकता है। यात्रा के दौरान दवाइयां और गर्म कपड़े जरूर साथ रखें।

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