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जानिए गृह प्रवेश का कब होता है शुभ मुहूर्त और क्‍या होते हैं इसके लाभ

सही मुहूर्त पर गृह प्रवेश से आपकी सुख-समृद्धि जुड़ी होती है, इसलिए इसका सही समय जानना बेहद जरूरी है।

By Pratibha Kumari Edited By: Published: Wed, 04 Jan 2017 03:49 PM (IST)Updated: Thu, 05 Jan 2017 12:17 PM (IST)
जानिए गृह प्रवेश का कब होता है शुभ मुहूर्त और क्‍या होते हैं इसके लाभ
जानिए गृह प्रवेश का कब होता है शुभ मुहूर्त और क्‍या होते हैं इसके लाभ

हर कोई चाहता है कि अपना एक घर हो और उससे उसकी सुख-समृद्धि जुड़े। मगर यह कामना तब जरूर पूरी हो सकती है जब गृह प्रवेश के वक्‍त कुछ बातों का ध्‍यान रखा जाएगा। घर और वास्‍तु शास्‍त्र का पुराना नाता रहा है और इसके मद्देनजर गृह प्रवेश के मुहूर्त का समय भी बहुत मायने रखता है, इससे कई अहम बातें जुड़ी हुर्इ हैं। चलिए इनके बारे में आपको बताते हैं-
-गृह प्रवेश के लिए शुभ मुहूर्त का जरूर ध्‍यान रखें। दिन, तिथि, वार एवं नक्षत्र को ध्यान मे रखते हुए गृह प्रवेश की तिथि और समय का निर्धारण करें।
-शास्त्रानुसार गृह प्रवेश के लिए माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ माह को सबसे सही समय बताया गया है।
- माघ महीने में गृह प्रवेश करने वाले को धन का लाभ होता है।
-आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, पौष माह को गृह प्रवेश के लिए शुभ नहीं माना गया है।
-मलमास में भी नये मकान में प्रवेश नहीं करना चाहिए।
-चैत्र मास में नए घर में प्रवेश करने से धन का अपव्यय सहना पडता है।
-पुत्र की चाह हो तो व्यक्ति को ज्येष्ठ माह में गृह प्रवेश करना चाहिए।
-शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से लेकर कृष्णपक्ष की दशमी तिथी तक गृह प्रवेश वंश वृद्धि दायक माना गया है।
-जिस मकान का द्वार दक्षिण दिशा में हो तो गृह प्रवेश एकम्, छठ, ग्यारस आदि तिथियों में करना चाहिए।
-दूज, सप्तमी तिथि को पश्चिम दिशा के द्वार के गृह प्रवेश के लिए श्रेष्ठ बताया गया है।

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इन बातों का भी रखें ध्‍यान

-मंगल कलश के साथ नए घर में प्रवेश करना चाहिए।
-कलश में शुद्ध जल भरकर आम या अशोक के आठ पत्तों के बीच नारियल रखेंं।
-घर को बंदनवार, रंगोली, फूलों से सजाएं।
--पूजन सामग्री में नारियल, कुमकुम, चावल, अबीर, गुलाल, धूपबत्ती, पांच शुभ मांगलिक वस्तुएं, आम या अशोक के पत्ते, पीली हल्दी, गुड़, चावल, दूध आदि भी शामिल करें।

-रसोई घर में भी पूजा करें। चूल्हे, पानी रखने के स्थान और स्टोर आदि में धूप, दीपक के साथ कुमकुम, हल्दी, चावल आदि से पूजन कर स्वास्तिक चिन्ह बनाएं।

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