हिमाचल में कांग्रेसियों पर भी दाव खेलेगी भाजपा
हिमाचल प्रदेश में भाजपा हर स्तर पर उम्मीदवारों को लेकर विभिन्न स्तरों पर फीडबैक ले रही है।
नवनीत शर्मा, धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश में पूरे दम के साथ सत्ता पाने के लिए भारतीय जनता पार्टी जीत की क्षमता वाले कांग्रेसियों को भी टिकट दे सकती है। इधर, कांग्रेसी दिग्गज भी राज्य में पार्टी की दुर्गति से निजात पाने व अपना सुनहरा भविष्य तलाशने के लिए कमल की ओट में आने को बेकरार हैं। हालांकि भाजपा हर स्तर पर उम्मीदवारों को लेकर विभिन्न स्तरों पर फीडबैक ले रही है लेकिन उत्तराखंड, मणिपुर व उत्तर प्रदेश में पार्टी ने जो फार्मूला बनाया उसकी सफलता के बाद जीतने की क्षमता रखने वाले उम्मीदवारों पर वह दाव खेलेगी भले ही वह कांग्रेस टीम क्यों न हो।
इसके लिए भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ कांग्रेस नेताओं का संपर्क सध चुका है। इनमें प्रदेश के तीन मंत्री व लगभग आधा दर्जन विधायक शामिल हैं। जबकि निर्दलीय विधायकों की भी केंद्रीय नेताओं व मंत्रियों के जरिये बातचीत चल रही है। कांग्रेस आलाकमान और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को भी यह जानकारी है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का दिल्ली में सोनिया गांधी से मिलना व प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलना, सब प्रक्रिया का हिस्सा माना जा रहा है। इस पर कोई भी खुलकर बोलने को तैयार नहीं है, लेकिन सूत्र आश्वास्त हैं कि भाजपा अब तक कई विकल्पों पर गौर कर चुकी है।
गौरतलब है कि उत्तराखंड में भी कांग्रेस के 16 विधायकों को भाजपा में शामिल करके अगले दिन ही टिकट दे दिया था। इनमें से अधिकतर जीते। मणिपुर में भी लगभग कई कांग्रेसियों को भाजपा ने टिकट दिया और इनमें मुख्यमंत्री तक का पद भी मिला। उत्तर प्रदेश में भी भाजपा ने समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के लोगों को टिकट दिया, इनमें से अधिकतर जीते। अब तक के मंजर को देखते हुए बेशक हिमाचल में भाजपा के सामने कोई बड़ी कठिनाई जीत को लेकर नहीं है लेकिन जीत की क्षमता वाले मामले पर पार्टी कोई 'रिस्क' नहीं लेना चाहती। हाल में भोरंज उपचुनाव से ऐन पहले भी चौपाल के निर्दलीय विधायक बलवीर वर्मा को भाजपा ने शामिल कर जनता को एक संदेश देने का प्रयास किया था। इसके बाद कांग्रेस ने भी तीन निर्दलीय विधायकों को राहुल गांधी के पास पहुंचा दिया।
यह भी बताया जा रहा है कि हिमाचल के एक बड़े मंत्री की बेटी भी भाजपा का दामन थाम रही है जिसे मंडी से टिकट दिया जा सकता है। उधर, कांगड़ा के नेता भी संपर्क में हैं।कांग्रेस में बदलाव की चाहत उन लोगों में ज्यादा हैं जो मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के विरोधी हैं, जिन्हें वीरभद्र सिंह ने अधिमान नहीं दिया। लेकिन यदि वीरभद्र सिंह को पार्टी कुर्सी से हटाती है, उस स्थिति में 'टीम राजा' भाजपा का दामन थामने की तैयारी में हैं। यानी भाजपा के पास उम्मीदवारों की भरमार है। हालांकि बरसों से संगठन में मेहनत करते आए भाजपाई इन घटनाओं पर सकते में हैं लेकिन अमित शाह व जेपी नड्डा की जोड़ी क्या फैसला लेगी, यह जल्द ही साफ होगा।
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