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धूमधाम से हुई 'मुनिया दी धाम'

जागरण संवाददाता, धर्मशाला : जिला में धाम के स्वाद में सामाजिक सरोकार को छोड़कर इसे नए मायने दिए गए है

By Edited By: Published: Wed, 10 Aug 2016 09:39 PM (IST)Updated: Wed, 10 Aug 2016 09:39 PM (IST)

जागरण संवाददाता, धर्मशाला : जिला में धाम के स्वाद में सामाजिक सरोकार को छोड़कर इसे नए मायने दिए गए हैं। धाम की धमक को, बच्चियों के जीवन की चमक के साथ जोड़कर समाज को नई राह भी दिखाई है। लोग 'मुनिया दी धाम' की खूब तारीफ कर रहे हैं। खंड विकास कार्यालय धर्मशाला एवं विकास खंड धर्मशाला अंतर्गत आने वाली सभी पंचायतों के प्रतिनिधियों एवं लोगों ने सामूहिक रूप से सिद्धबाड़ी में 'मुनिया दी धाम' का आयोजन किया। उपायुक्त रितेश चौहान ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। उन्होंने कहा कि 'मुनिया दी धाम' में बेटा-बेटी के बीच भेदभाव की मानसिकता में परिवर्तन लाने और बेटी जन्म के सौभाग्य, सम्मान एवं उल्लास में खुशिया मनाने का संदेश निहित है। मुन्नियों के परिजनों को शिशु देखभाल किट भी प्रदान की गई। बीडीओ धर्मशाला धर्मेश ने गतिविधियों से अवगत करवाया। इस मौके पर ममता, रविंद्र कुमार, श्रवण माटा, शशिपाल नेगी, पारस अग्रवाल आदि शामिल हुए।

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'कागड़े दी मुन्नी' अभियान की सफलता के लिए घर-घर तक संदेश पहुंचाने पर बल दिया जा रहा है। परिवार में बच्ची के लालन-पालन में दादी की भूमिका अहम रहती है। जिला प्रशासन परिवारों में दादियों को भी मुहिम से जोड़ने का प्रयास करेगा।

-रितेश चौहान, उपायुक्त कांगड़ा।

जनप्रतिनिधियों ने गोद ली बेटियां

जनप्रतिनिधियों एवं अन्य लोगों ने निर्धन परिवारों की एक-एक बेटी की पढ़ाई-लिखाई एवं अन्य आवश्यकताओं का जिम्मा लिया। मंदल के सुरेश कुमार ने घियाण कला की सोनिया, टंग के अजय आचार्य ने बाघणी की पल्लवी, बगली के कपिल वैद्य ने बाघणी की भारती का जिम्मा लिया। पंचायत समिति धर्मशाला के अध्यक्ष रविंद्र कुमार ने श्यामनगर की शेजल, तंगरोटी के बृज लाल ने घियाणा कला की स्नेहा, सीडीपीओ धर्मशाला तारा चंद ठाकुर ने घियाणा कला की शिवानी का जिम्मा उठाया। प्रसिद्ध लोक गायक सुनील राणा ने मंदल की पायल, प्रधान ओम प्रकाश ने बाघणी की सोनाली, सौकणी दा कोट की प्रधान ममता ने सौकणी दा कोट की मुस्कान, पंतेहड़ पासू के प्रधान मेहर चंद ने पंतेहड़ पासू की प्रकृति का जिम्मा लिया।

एकल बच्ची के अभिभावकों का सम्मान

कार्यक्रम में एकल बच्चियों के अभिभावकों को भी सम्मानित किया गया। तंगरोटी खास की अनवी के पिता विनय कुमार, वरबाला की रूबी माता पवना, सुक्कड़ की रमना की माता निशा, नरवाणा खास की अक्षिता के पिता अश्वनी, सौकणी दा कोट की मुस्कान के पिता मेहर सिंह, ढगवार की शाइना के पिता नसीब, मंदल की किरन के पिता चुनी लाल, जूहल की समिता की माता कुसमा देवी, कनेड़ की मीनाक्षी के पिता शशिभूषण, टऊ की श्रेया की माता राधा देवी, रक्कड़ की स्वाती के पिता त्रिपति राणा, झियोल की वंशिका की माता अंजना, बाघणी की शिखा चौधरी के पिता प्रवीन कुमार, वल्ला जदरागल की प्रदूषी के पिता प्रवीन कुमार एवं टंग नरवाणा की ऋतु के पिता अशोक कुमार को सम्मानित किया गया। बाघनी की अर्पिता की माता ममता, पद्धर की रिया की माता मधु, रक्कड़ की निधि की माता कस्तूरबा, भतल्ला की सिल्की गुरंग के पिता प्रदीप गुरंग और पंतेहड़ पासू की महक के पिता रणजीत सिंह को सम्मानित किया।


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