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मणिमहेश दर्शन के लिए रवाना होने लगे श्रद्धालु

ह‍िमाचल प्रदेश की पवि‍त्र मण‍ि‍महेश यात्रा का इस मह‍िने आगाज होने जा रहा है। इसके ल‍िए अभी से ही श्रद्धालुओं के जत्‍थे रवाना होना शुरू हो गए है।

By Edited By: Published: Fri, 05 Aug 2016 01:00 AM (IST)Updated: Fri, 05 Aug 2016 11:15 AM (IST)

भरमौर (वेब डेस्क) हिमाचल प्रदेश की प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा के लिए श्रद्धालुओं के जत्थे रवाना होना शुरू हो गए है। यह यात्रा अधिकारिक रूप से 25 अगस्त से शुरू होगी। लेकिन अभी से ही श्रद्धालु मणिमहेश के लिए रवाना होने शुरू हो गए है। यह यात्रा सितंबर माह तक चलेगी। मणिमहेश में हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ से आशीर्वाद लेने जाते है। यहां कैलाश पर्वत से एक प्रकाश के रूप में मणि के दर्शन होते है। ऐसे माना जाता है कि मणि भगवान भोले नाथ की है। जो अपने भक्तों को इस रूप में दर्शन देते है। ऐसा माना जाता है कि इस मणि के जिन लोगों को दर्शन होते है, वे काफी भाग्यशाली होते है। कैलाश पर्वत के ठीक नीचे श्रद्धालु डल झील में स्नान करते है।

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कैसे पहुंचे मणिमहेश

धौलाधार, पांगी व जांस्कर पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा यह कैलाश पर्वत मणिमहेश-कैलाश के नाम से प्रसिद्ध है और हजारों वर्षो से श्रद्धालु इस मनोरम शैव तीर्थ की यात्रा करते आ रहे हैं। यहां मणिमहेश नाम से एक झील है। इसे डल झील भी कहा जाता है। यह झील समुद्र तल से लगभग 13,500 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। सभी श्रद्धालु इस झील तक जाते है और यहां स्नान व पूजा करते है। इसी सरोवर की पूर्व की दिशा में है वह पर्वत है, जिसे कैलाश कहा जाता है। इसके गगनचुम्बी हिमाच्छादित शिखर की ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 18,564 फुट है। मणिमहेश हिमाचल प्रदेश के पंजाब व जम्मू कश्मीर के साथ लगते चंबा जिला के भरमौर उपमंडल में है। यह यात्रा भरमौर के हड़सर से शुरू होती है। भरमौर व हड़सर तक सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है। इससे आगे करीब 13 किलोमीटर का सफर पैदल तय करना पड़ता है। भरमौर तक पठानकोट'-चंबा मार्ग से होते हुए पहुंचा जा सकता है। चंबा से भरमौर की दूरी 64 किलोमीटर है।

अब यात्रा पर जाने वालों को देना होगा 20 रुपये शुल्क

मणिमहेश दर्शन के लिए अब शुल्क लगेगा। मणिमहेश ट्रस्ट हर श्रद्धालु से बीस रुपये शुल्क के रूप मे वसूल करेगा। बिना शुल्क दिए किसी भी श्रद्धालु को यात्रा पर नही जाने दिया जाएगा। मणिमहेश न्यास के सुझाव पर प्रशासन ने यह निर्णय लिया है। इसे श्रद्धालुओ की सुविधा के लिए ही खर्च किया जाएगा।

पढ़ें: श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए आखिर कौन जिम्मेदार


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