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दूर होंगे गर्भाशय संबंधी विकार

ग्रॉस वेजिंग के जरिये ओवरी पर किसी तरह के असर के बगैर महिलाओं को गर्भाशय से संबंधित समस्या से छुटकारा पाने में मदद मिलती है।

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 04 Oct 2016 03:44 PM (IST)Updated: Tue, 04 Oct 2016 03:59 PM (IST)
दूर होंगे गर्भाशय संबंधी विकार

आधुनिक दौर में व्यक्तिगत वजह (जैसे देर से शादी करना) और पर्यावरण से संबंधित कारणों से महिलाओं में गर्भाशय संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं। इन समस्याओं में गैर-कैंसरस ग्रंथियों जैसे फाइब्रॉइड्स और एडोनोमायोसिस के मामले बढ़ रहे हैं।

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अतीत में इस तरह की समस्याओं का एकमात्र इलाज हिस्टेरेक्टॅमी था। इसके तहत ऐसी पीडि़त महिलाओं के गर्भाशय को ऑपरेशन के जरिए निकाल दिया जाता था, जिनका परिवार पूरा हो चुका हो यानी जिनके बच्चे हो चुके हों। हमने गर्भाशय के विकारों को दूर करने के लिए एक नई चिकित्सा विधि विकसित की है, जिसे लैप्रोस्कोपिक ग्रॉस वेजिंग कहा जाता है।

परंपरागत हिस्टेरेक्टॅमी की तुलना में नई लैप्रोस्कोपिक ग्रॉस वेजिंग प्रक्रिया के कई फायदे हैं। ग्रॉस वेजिंग के जरिये ओवरी पर किसी तरह के असर के बगैर महिलाओं को गर्भाशय से संबंधित समस्या से छुटकारा पाने में मदद मिलती है। ग्रॉस वेजिंग के दौरान गर्भाशय के सपोर्ट को छेड़ा नहीं जाता है।

डॉ. निकिता त्रेहन स्त्री रोग विशेषज्ञ व लैप्रोस्कोपिक सर्जन

सनराइज हॉस्पिटल, नई दिल्ली

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