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ऐसे दें सर्दी को शिकस्त

वयस्कों को भी सर्दियों के मौसम में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं, लेकिन छोटे बच्चों और वृद्धों को कुछ ज्यादा ही समस्याओं का सामना करना पड़ता है,क्योंकि बच्चों और वृद्धों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता वयस्कों और युवकों की तुलना में उतनी सशक्त नहीं होती। कुछ सजगताएं बरतकर आप और आपके

By deepali groverEdited By: Published: Tue, 16 Dec 2014 11:02 AM (IST)Updated: Tue, 16 Dec 2014 11:34 AM (IST)
ऐसे दें सर्दी को शिकस्त

वयस्कों को भी सर्दियों के मौसम में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं, लेकिन छोटे बच्चों और वृद्धों को कुछ ज्यादा ही समस्याओं का सामना करना पड़ता है,क्योंकि बच्चों और वृद्धों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता वयस्कों और युवकों की तुलना में उतनी सशक्त नहीं होती। कुछ सजगताएं बरतकर आप और आपके छोटे बच्चे मौजूदा मौसम में स्वस्थ बने रह सकते हैं...

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शरीर के अंदर जैविक व रासायनिक क्रियाएं होती रहती हैं और इन्हें ठीक प्रकार से संचालित करने के लिये शरीर का तापमान 37 डिग्री होना जरूरी है। अगर शरीर के इस तापमान में कमी या वृद्धि होती है, तब शारीरिक क्रियाएं ठीक प्रकार से संचालित नहीं होतीं और शरीर में विभिन्न प्रकार की तकलीफेें उत्पन्न होने लगती हैं। शरीर के अंदर कुछ ऊर्जाजनित क्रियाएं जारी रहती हैं जिससे यह तापमान 37 डिग्री सेंटीग्रेड तक बना रहता है। बच्चों के शरीर में इतनी ऊर्जा पैदा नहीं होती कि वे इस तापमान को बनायें रखें। इसलिये बच्चों को ठंड से बचाने के लिए विशेष उपायों की जरूरत होती है। ये उपाय कारगर हैं या नहीं, इस बारे में जानकारी के लिए बच्चे के शरीर का तापमान थर्मामीटर से चेक कर सकते हैं। अगर यह तापमान 36.5 डिग्री सेन्टीग्रेड या 98.0 डिग्री फारेनहाइट से कम है, तो समझ लें कि बच्चा ठंडा हो रहा है और हमें ठंड से बचाने के उपाय में इजाफा करना पड़ेगा। इसी प्रकार अगर शरीर का तापमान 99.5 डिग्री फारेनहाइट या 37.5 डिग्री सेंटीग्रेड से ज्यादा है, तो कपड़े कम कर दें।

ऐसे करें बचाव

-मौजूदा मौसम में गर्म कपड़े शरीर के अंदर की गर्मी को अंदर बनाये रखते हैं। रात को ओढ़ने का कपड़ा हो या फिर दिन में पहनने का, हमें यह जरूर देख लेना चाहिए कि वह कपड़ा शरीर की ऊर्जा को संचित करने लायक है या नहीं। प्योर वूल ही लें।

-कमरे में ब्लोअर न चलाएं और धुआं देने वाली अंगीठी कभी भी नहीं। ब्लोअर की हवा से ठंड लग सकती है और अंगीठी के धुएं में कार्बन मोनॉक्साइड होता है जो विषैला होता है। बिजली का हीटर ज्यादा उचित रहता है।

-छोटे बच्चे के ओढ़ने के कंबल के अंदर गुनगुने पानी की बोतल टाइट ढक्कन बंद करके रख सकते हैं, परंतु सबसे अच्छी गर्मी मां के शरीर से ही बच्चे को मिल सकती है। मां बच्चे को अपने शरीर से सटाकर रखें और स्तनपान कराएं।

-बड़े बच्चे को धूप में खेलनें दें, परंतु तेज हवा होने पर बाहर न छोड़ें। छोटे बच्चों को धूप दिखानी हो, तो चेहरा ढक कर शीशे की खिड़की के जरिये धूप दिखाएं। इससे हवा से बचाव हो सकता है, परंतु गर्मी मिल जायेगी।

-जाड़े में त्वचा रोग से बचने के लिए गुनगुने पानी से बच्चे को नहलाएं और कपड़े रोज बदलें और उन्हें गर्म पानी से धोएं। जो कपड़े रोज न धुल पाएं उन्हें झाड़कर एक प्लास्टिक की थैली में बंद करके धूप दिखाएं।

-कालीन, कंबल आदि को वैक्यूम क्लीनर से साफ करके धूप दिखाएं। जिससे उनमें पनपने वाले माइट्स और त्वचा रोग पैदा करने वाले सूक्ष्म कीड़े नष्ट हो जाएंगे।

-शरीर में गर्मी पैदा करने के लिए अधिक ऊर्जा की जरूरत होती है। इसके लिए बड़े बच्चों को घी का हलवा और मेवा दी जानी चाहिए। दोनों ही चीजें ऊर्जावद्र्धक होती है।

(डॉ.निखिल गुप्ता, वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ)

पढ़ेंः जाड़े में जरूर करें इन सब्जियों का सेवन


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